Mahabharat Kaal Ke Saboot: महाभारत काल के सबूत खोजने हस्तिनापुर में 70 साल बाद शुरू हुई खुदाई
Mahabharat Kaal Ke Saboot: इससे पहले साल 1952 में खुदाई हुई थी, हस्तिनापुर में महाभारत काल के रहस्यों को सुलझाने के लिए खोजकर्ता जुट गए हैं
Mahabharat Kaal Ke Saboot: भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाया जा रहा है, इसी तर्ज पर भारत के इतिहास और सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले स्थान हस्तिनापुर को भी डेवलप किया जाना है। 70 साल बाद एक बार फिर से महाभारत के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए हस्तिनापुर में खोजकर्ता खुदाई कर रहे हैं. इससे पहले 1952 में यहां खुदाई की गई थी. जिसके बाद महाभारत काल के कई साक्ष्य मिले थे.
देश का दुर्भाग्य है कि हम रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों को इंडियन माइथोलोजी कहते हैं। जबकि यह कोई मिथ्या नहीं भारत का प्राचीन इतिहास है। इसे बिना किसी झिझक के अपनाना चाहिए। लेकिन अब एक बार फिर से हस्तिनापुर में महाभारत के इतिहास के सबूत खंगालने के लिए रिसर्चर्स की टीम जुट गई है
कैसे और कहां हो रही खुदाई
महाभारत काल में पांडवों की राजधानी रही हस्तिनापुर के उल्टा खेड़ा और पांडव टीला में उत्खनन का कार्य शुरू किया गया है। ASI के अधिकारीयों और खोजकर्ताओं को यह उम्मीद है कि इस खुदाई के बाद महाभारत काल के कई रहस्यों से पर्दा उठेगा।
इससे पहले साल 1952 में हुई थी खुदाई
जब साल 1952 में हस्तिनापुर में खुदाई हुई थी तब उस प्राचीन काल के ऐसे साक्ष्य मिले थे जिसके बाद इसकी पुष्टि हो गई थी के जो ग्रन्थ में लिखा है वो सच है किसी की कल्पना या मिथ्या नहीं है. अब ASI का सर्किल ऑफिस मेरठ में खुलने के बाद, हस्तिनापुर में खुदाई का सिलसिला शुरू हो गया है। अधिकारीयों का कहना है कि हस्तिनापुर में सिनौली से भी बड़ा राजफाश हो सकता है।
बता दें की बागपतके सिनौली में कुछ दिन पहले खुदाई हुई था जहां से प्राचीन भारतीय इतिहास से जुड़े कई प्रमाण मिले थे, और एक रथ मिला था।
वर्ल्ड क्लास ट्रूरिस्म डेवलप होगा
भारतीय पुरातत्व विभाग का कहना है कि यहां शुरू हो रही खोज के बाद कई रहस्मयी चीज़ों का खुलासा होगा। आने वाले दिनों में हस्तिनापुर ना सिर्फ एक अच्छी सिटी के रूप में विकसित होगा बल्कि यहां वर्ल्ड क्लास टूरिस्म की सुविधा मिलेगी। लोग प्राचीन इतिहास के प्रमाणों को देखने के लिए विदेशों से खिचे चले आएंगे।
किसकी खोज हो रही है
महाभारत में पांडवों के कुछ भवनों का वर्णन है, खोजकर्ताओं की टीम पांडव टीले में खुदाई कर के उन्ही भवनों की तलाश कर रही है। बता दें कि पांडव टीला पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। और यहां से हज़ारो साल पुराने इतिहास से जुड़े अवशेष मिलते रहते हैं.