जानिए क्या है ESMA, सरकार इस ACT का सहारा कब और क्यों लेती है?

ESMA Full Form, Meaning In Hindi : एस्मा का फुल फॉर्म एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट है। जिसको हिन्दी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है। यह केन्द्रीय कानून है जिसको वर्ष 1968 में लागू किया गया था।

Update: 2023-07-16 08:33 GMT

ESMA Act Kya Hai, ESMA Full Form: एस्मा का फुल फॉर्म एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (Essential Services Management Act) है। जिसको हिन्दी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है। यह केन्द्रीय कानून है जिसको वर्ष 1968 में लागू किया गया था। हालांकि इस कानून को लागू करने के लिए राज्य सरकारों को भी छूट दी गई थी। इस एक्ट में 9 धाराएं हैं। सरकार द्वारा एस्मा ESMA का सहारा तब लिया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं और यह हड़ताल लंबी चलने की वजह से आवश्यक सेवाओं एवं वस्तुओं की आपूर्ति आदि बाधित हो जाती है। ऐसे में सरकार इस एक्ट का प्रयोग करती है।

Provision of punishment under ESMA | एस्मा के तहत सजा का प्रावधान

एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र अथवा अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। इसके अलावा एस्मा लागू होने के बाद भी यदि कर्मचारी हड़ताल पर रहते हैं तो उसे अवैध मानकर सरकार एस्मा एक्ट के तहत कार्यवाही कर सकती है। इसके लगने के बाद भी यदि कर्मचारी हड़ताल पर रहते हैं तो उन पर कार्यवाही किए जाने का प्रावधान है। जिसके तहत हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को 6 माह का कारावास अथवा 200 रुपए अर्थदंड या फिर दोनों सजा से दंडित किया जा सकता है।

ESMA: एस्मा में पुलिस को नहीं पड़ती वारंट की जरूरत

सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने के बाद भी यदि कर्मचारी हड़ताल पर रहते हैं तो ऐसे कर्मचारियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को किसी भी तरह के वारंट की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा हड़ताल के लिए उकसाने वाले कर्मचारी नेताओं को इससे दोगुनी सजा अर्थात 1 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया जा सकता है। इसके साथ ही हड़ताल को वित्त पोषित करने वालों को 1 साल के कारावास के अलावा 10 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।

ESMA: सरकार तय करती है एस्मा की अवधि

अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) सरकार द्वारा लगाया जाता है। इसको कब तक की अवधि के लिए लगाना है यह सरकार तय करती है। सरकार जब चाहे तब इस एक्ट को वापस भी ले सकती है। एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट लागू होने के बाद औद्योगिक विवाद अधिनियम, कंपनी कानून, कर्मचारी हितैषी कानून स्वमेव ही निरस्त हो जाते हैं। ऐसा कानून सारे कानूनों से ऊपर है। कर्मचारी जब हड़ताल पर चले जाते हैं और हड़ताल लम्बी खिंचती है। कर्मचारी हड़ताल से पीछे हटने को तैयार नहीं होते हैं। इससे जहां आवश्यक सेवाएं प्रभावित होती हैं तो वहीं आपूर्ति आदि भी बाधित हो जाती हैं। ऐसे में व्यवस्था बनाने के लिए सरकार द्वारा एस्मा का प्रयोग किया जाता है।

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