भारतवासियों तैयार रहो: La Nina के चलते अबतक की सबसे भयंकर टाइप की ठंड पड़ने के आसार हैं

La Nina: ऐसा पूर्वानुमान लगाया गया है कि 'ला नीना' के कारण भयंकर टाइप की ठंड पड़ सकती है, इससे कैसे बचना है ये भी जान लीजिये

Update: 2021-12-02 07:16 GMT

La Nina: भारत देश भारी वर्षा से लेकर बाढ़ और ग्रीष्मकाल तक गर्म हवाओं के कारण चरम मौसम की घटनाओं में स्पाइक से जूझ रहा है। इस साल सितंबर और अक्टूबर में, देश में पिछले पांच वर्षों के दौरान चरम मौसम की घटनाओं के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून के देर से वापस आने और सामान्य से अधिक निम्न-दबाव प्रणालियों के कारण हुए। और अब मौसम विज्ञान के विशेषज्ञों ने एक नया पूर्वानुमान लगाया है जो सुनने मात्र से आपकी कपकपी छुड़ा देता है ऐसा अनुमान है कि आने वाले दिनों में भारी ठंड पड़ने वाली है 

ला नीना आम तौर पर कड़ाके की सर्दियां देने वाला होता है जो अभी रास्ते में है और, प्रशांत महासागर में उभरने वाली ला नीना के कारण उत्तर भारत में सबसे सर्द/अत्यंत ठंडी सर्दी देखी जा सकती है। कहने का मतलब यही है  कि इस बार उत्तरी भारत में जबरजस्त ठंड पड़ने के आसार हैं। 

क्या है La Nina: (What Is La Nina)


La Nina एक तरह का मौसमी  पैटर्न  है जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में सर्द सर्दियों का कारण बनता है। इसके भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक ठंडी सर्दियाँ होने की संभावना है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और फरवरी कुछ उत्तरी राज्यों में विशेष रूप से ठंडे होंगे, जहां तापमान ठीक होने से पहले 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा। ला नीना  वैश्विक मौसम के मिजाज को बिगाड़ने के लिए आगे बढ़ता जा रहा है, और इसका  प्रभाव भी  दिखाई देने लगा है क्योंकि भारत ने इस साल 1975 के बाद से सातवें सबसे अधिक देरी से मानसून वापसी देखी। इस बार मानसून समय से जल्दी आया और जाने  काफी देरी कर दी। 

इतिहास में  दक्षिण-पश्चिम मानसून 2010 से शुरू होकर 2016, 2017, 2020 और 2021 के बाद एक दशक की अवधि में पांच बार लेट हो चुका है।  समुद्र लगातार गर्म  होते जा रहे हैं और विशेषज्ञों ने इसपर पर चिंता जताई है, जिसके कारण ओवरहाल हो रहा है। इस मौसमी बदलाव के सिस्टम को  पूरे भारत में महसूस किया गया है। 

मौसम वैज्ञानिकों  ने क्या चेतावनी दी है 

इस साल मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए लोगों को आने वाली कड़ाके की ठंड से आगाह किया है, ऐसा अनुमान लगाया गया है कि आने वाले  जनवरी, फरवरी 2022 में पूरे उत्तर भारत में तापमान में भारी गिरावट आएगी। 

वेदर रिपोर्ट्स के अनुसार,  बीते रविवार को बर्फ़बारी के  कारण हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों जैसे लाहौल-स्पीति और किन्नौर में तापमान पहले ही जीरो पहुंच गया है। वहीं शिमला में आईएमडी (IMD)  केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, इस बार उत्तरी राज्य में सर्दी जल्दी आ गई है और लाहौल-स्पीति में केलांग में जीरो से 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान रिकॉर्ड किया गया है। 

सर्दी से बचने की तैयारी कैसे करना है (How to Cope Up With Harsh Winters)

1 ) तैयार रहो 

बढ़िया गर्म कपडे पहनिए, रूम हीटर का बंदोबस्त करिये बुजुर्गों और बच्चों का खास ध्यान रखिये 

2 ) हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्ट बाइट से बचके रहिये 

सिर्फ 10 डिग्री सेल्सियस तापमान गिरने से ही शरीर गर्मी को खोने लगता है, ऐसे में ठंडी चीज़े खाना कम करिये, शरीर को गर्मी दीजिये , एकाएक गर्म माहौल से उठकर घर के बहार मत निकालिये। 

3 ) बॉडी हीट को सुरक्षित रखिये 

अपने शरीर की ऊष्मा को बर्बाद मत करिये, शरीर की गर्मी ही ठण्ड से आपकी रक्षा करती है, कम कपडे पेहेन कर सर्दियों में बाइक ना चलाइये। शरीर को पूरी तरह  ढके रहिये। बाइक चलाइये तो टोपा और दस्ताने पेहेन कर रखिये। 

4 ) थकावट और थकान से बचें

क्योंकि ये ऊर्जा सोखते हैं, और मांसपेशियों को गर्म रखने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। लेकिन जितना हो सके सक्रिय रहें। गर्म रखने का यह एक अच्छा तरीका है। यह मांसपेशियों के नुकसान को भी रोकता है। 

5 ) पसीना बहाने से बचिए सूखे रहने की कोशिश करिये 

शरीर एक अंदर का पानी जब पसीने के रूप में बहार आता है तो यह ठंडक देता है.

6) खाना पीना सही होना चाहिए 

गर्म शेक पीजिये, हाई कैलोरी वाला खाना खाइये, अपनी डायट को बेलेंस रखिये, भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां खाइये 

7 ) पानी पीते रहिये 

सर्दी के दिनों में प्यास बहुत कम लगती है, ऐसे में बॉडी का पानी कम होने का खतरा बढ़ जाता है. ठंडा पानी तो कतई ना पिए, कोशिश करिये की कुनकुना पानी पियें। 

इस साल की ठंड देश में एनर्जी क्राइसिस भी ला सकती है। 

रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर डाला गया है कि  पड़ने वाली कड़ाके की ठंड के कारण कई एशियाई देशों में ऊर्जा संकट भी पैदा हो सकता है, जिसमें चीन को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह सबसे ज़्यादा एनर्जी का इस्तेमाल करने वाला देश है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब डीजल और पेट्रोल के दाम उपभोक्ताओं की जेब में छेद कर रहे हैं। हालांकि, अन्य देशों के विपरीत, भारत में ऊर्जा की खपत कम होगी क्योंकि एयर कंडीशनिंग के उपयोग में काफी कमी आएगी। 

देश में La Nina  का असर कबतक रहेगा 

ला नीना के एपिसोड आमतौर पर नौ से 12 महीने तक चलते हैं, लेकिन कभी-कभी सालों तक चल सकते हैं। ऐसी घटनाएं औसतन हर दो से सात साल में होती हैं, लेकिन वे नियमित समय पर नहीं होती हैं ऐसा कोई फिक्स नहीं रहता। तो ये कहना मुश्किल होगा कि ला नीना का असर कब ख़त्म होगा 


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