महिलाएं आज सोलह शृंगार कर रहेंगी निर्जला व्रत, पढ़िए पूरी खबर
रीवा (विपिन तिवारी ) हिन्दू धर्म में हरितालिका तीज का विशेष महत्व है। बुधवार को हरितालिका तीज पर महिलाएं निर्जला रहकर फल, पकवान आदि से डलिया भरेंगी और गुरुवार को पारण करेंगी। हाथों में मेंहदी रचाकर महिलाएं सोलहों शृंगार करेंगी और शिव-पार्वती से पति की लंबी आयु की कामना करेंगी।
व्रत को लेकर मंगलवार को शहर के बाजारों में भारी भीड़ रही। फल, पकवान व पूजन सामग्रियों की देर शाम तक महिलाओं ने खरीदारी की। दोपहर में लोगों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा। । इस दिन गौरी-शंकर की पूजा का विधान है। मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। मुख्य रूप से यह त्योहार बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है।
जानें कैसे करें यह व्रत :
हरतालिका तीज का कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद संकल्प लें।
भीड़ के कारण बाजारों में जगह-जगह लगा रहा जाम तीज पर्व को लेकर महिलाएं हाथों में मेंहदी लगवातीं महिलाएं।
महंगे दामों पर बिकीं पूजन सामग्री
बाजार में बांस के डलिया, फल सहित अन्य पूजन व पकवान सामग्रियों के भाव तेज रहे। लोहिया पुल के समीप सबसे ज्यादा भीड़ बांस की डलिया खरीदारी करने वालों की रही। चरकोनी डलिया 30 रुपये एवं डलिया छोटा 50 रुपये की दर से बिक्री रही। फलों के भाव भी तेज रहे। नारियल 35 रुपए पीस, केला 30 से 35 रुपये दर्जन, सेव 80 से 90 रुपये, अनार 120 रुपये, नारंगी 80 रुपये, बतरसा 120 रुपये किलो की दर से बिक्री रही।
व्रत की पूर्व संध्या पर महिलाओं ने हाथ में मेंहदी रचवाई। सोलह शृंगार में मेंहदी रचना का विशेष विधान है। वेरायटी चौक पर मेंहदी रचाने के लिए महिलाओं को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। अन्य जगहों पर लोगों ने घर पर ही एक्सपर्ट से मेंहदी रचवायी। आज शाम 6:38 बजे तक भर सकती हैं डलिया
व्रती महिलाएं रात में सोएं नहीं
इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं। लेकिन एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है, अगर महिला ज्यादा बीमार है तो उसके बदले घर की अन्य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है, व्रत करने वाली महिला को किसी पर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए, व्रत करने वाली महिला को पति के साथ कलेश करने से व्रत अधूरा रह जाता है, किसी बुजुर्ग का अपमान न करें, इस व्रत में सोने की मनाही है, रात को भी सोना वर्जित है, रात के वक्त भजन-कीर्तन किया जाता है।