रीवा ट्रांसफर होने से नाराज सिविल सर्जन हाई कोर्ट पहुंचा, HC ने फटकार लगाते हुए कह डाली ये बड़ी बात...
रीवा. एक सिविल सर्जन को कोरोना महामारी के बीच सीधी से स्थानांतरित कर रीवा भेजा गया। इससे नाराज होके डॉक्टर अपने स्थानांतरण के खिलाफ हाई कोर्ट
रीवा. एक सिविल सर्जन को कोरोना महामारी के बीच सीधी से स्थानांतरित कर रीवा भेजा गया। इससे नाराज होके डॉक्टर अपने स्थानांतरण के खिलाफ हाई कोर्ट के शरण में पहुँच गया। इस पर हाई कोर्ट ने सिविल सर्जन को जमकर फटकार लगा दी। हाई कोर्ट ने सख्त लहजे पर कहा की कोरोना महामारी के समय सरकार ही जज है। वही तय करेगी कि किस डॉक्टर को कहां रखना है।
हाई कोर्ट ने कहा प्रभारी सिविल सर्जन जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर करना अनुचित है। याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी गई कि वह अभ्यावेदन दे और सरकार उसका निराकरण करे।
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प्रकरण के अनुसार डॉ.एसबी खरे सीधी में प्रभारी सिविल सर्जन बतौर पदस्थ थे। उनका ट्रांसफर रीवा कर दिया गया। जिसके खिलाफ वे हाईकोर्ट चले आए। उनका तर्क यह था कि वे प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं। इस मामले में सक्षम अधिकारी ने ट्रांसफर आदेश नहीं निकाला। ट्रांसफर आदेश निरस्त किया जाए।
इस पर राज्य की ओर से साफ किया गया कि प्रशासनिक आवश्यकता के मद्देनजर सीधी से रीवा भेजा जा रहा है। कोरोना आपदा के समय यह आवश्यक था। साथ ही याचिकाकर्ता लंबे समय से सीधी में पदस्थ है। ऐसे में रीवा में उनकी अधिक आवश्यकता महसूस की गई।
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हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को नसीहत दी कि कोरोना आपदा के समय इस तरह ट्रांसफर के खिलाफ मुकदमेबाजी उचित नहीं है। ऐसे समय में डॉक्टर को पूरा ध्यान मानव सेवा पर लगाना चाहिए। इसके साथ कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।
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