Jabalpur News : मां को लिए बेटा भटकता रहा, नहीं मिला अस्पताल में इलाज, कार में हुई मौत

जबलपुर (Jabalpur News in Hindi) : सरकार लाख दावे कर ले लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। ऐसा ही एक मामला जबलपुर से सामने आया हैं। जहां मृतक रोगी के परिजनों का कहना है कि वह मां का इलाज करवाने के लिए अस्पताल का चक्कर लगाते रहे। लेकिन किसी अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। और अंत में मां का कार में ही देहांत हो गया। 

Update: 2021-04-06 21:43 GMT

जबलपुर (Jabalpur News in Hindi) : सरकार लाख दावे कर ले लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। ऐसा ही एक मामला जबलपुर से सामने आया हैं। जहां मृतक रोगी के परिजनों का कहना है कि वह मां का इलाज करवाने के लिए अस्पताल का चक्कर लगाते रहे। लेकिन किसी अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। और अंत में मां का कार में ही देहांत हो गया। 

कोरोना रोगी थी महिला

परिजनों के बताए अनुसार महिला कोरोना रोगी थी। तबियत ज्यादा खराब होने से दसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। कई अस्पतालों के चक्कर लगाये लेकिन किसी ने महिला को भर्ती नही किया। अंत में महिला ने कार में ही दम तोड दिया। महिला का अंतिम संस्कार चैहानी शमशान घाट में किया गया।

स्वास्थ्य व्यवस्था फेल

स्वास्थ्य व्यवस्था के सारे दवे फेल हो रहे है। मुख्यमंत्री की बार-बार कहने के बाद भी डाक्टरों की मनमानी बंद नही हो रही है। अस्पताल का सिस्टम पटरी पर नहीं है। गंभीर रोगियों को भी अस्पताल में भर्ती नही किया जा रहा है। 

मिंटो हाल में सीएम ने कहा

स्वास्थ्य आग्रह पर बैठे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि लाकडाउन लगाने से गरीबों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो जाता है। साथ ही सीएम का कहना था कि जनता कोरोना को रोकने में सहयोग करे। इलाज टीकाकरण का जिम्मा सरकार का है। लेकिन हालत यह है कि अस्पताल में रोगियों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। 

बंगले में नजदीक तो अस्पताल में 2 मीटर दूर से

सरकारी अस्पतालो में तैनात डाक्टरों का हाल यह है कि सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए जाने वाले रोगियों को डाक्टर दो मीटर दूर से देखते हैं। आवश्यकता के बाद भी रोगी को देखने से कतराते है। वहीं अगर वही रोगी डाक्टर के बंगले में जाता है। फीस देता है तो डाक्टर दो मीटर के बजाय नजदीक से देखते हैं।
 

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