Story Of Vicco Company: 70 साल पुरानी विको कंपनी की कहानी
Success Story Of Vicco Company: विको कंपनी 70 सालों से चली आ रही है इसके प्रोडक्ट्स काफी प्रीमियम होते हैं
Success Story Of Vicco Company: मार्केट में हर रोज नई-नई चीज़ें आती हैं लेकिन टिकता सिर्फ वही है जिसमे क्वालिटी होती है और जिसपर लोग भरोसा करते हैं. आज हम उसी भरोसेमंद कंपनी Vicco की कहानी सुनाने वाले हैं जो 70 सालों से अपना कारोबार चला रही है और प्रीमियम क्वालिटी वाले सस्ते प्रोडक्ट बनाती है.
बात जब विको की आती है तो हमें इसके विज्ञापन में गाए जाने वाले 'वीको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, वीको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम' और 'वज्रदंती, वज्रदंती वीको वज्रदंती' जैसे जिंगल झट से याद आ जाते हैं.
विको कंपनी की कहानी
Story Of Vicco Company: साल 1952 में Vicco कंपनी वजूद में आई थी. इस कंपनी ने आयुर्वेद पर आधारित अपना पहला प्रोडक्ट मार्केट में पेश किया था. VICCO का पूरा नाम विष्णु इंडस्ट्रियल केमिकल कंपनी (Vishnu Industrial Chemical Company) है.
नागपुर में छोटी सी राशन की दुकान चलाने वाले केशव विष्णु पेंढरकर में साल 1952 में VICCO की शुरुआत की थी. राशन की दुकान से उतना खर्च नहीं निकलता था कि केशव विष्णु पेंढरकर अपना परिवार चला सकें। उनके अंदर पैसा कमाने की ललक थी इसी लिए वो नए मौकों की तलाश करते रहते थे. पैसा कमाने के लिए वो अपने परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए.
मुंबई आने के बाद केशव विष्णु पेंढरकर ने बांद्रा व सबअर्ब्स में कुछ छोटे बिजनेस शुरू किए, बिज़नेस को समझा और कुछ समय बाद परेल चले गए. मुंबई में उन्हें एलोपैथिक दवाइयों और पॉन्ड्स, नीविया, अफगान स्नो जैसे कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट ने अपनी तरफ खींचा. ये सब विदेशी कंपनियों के प्रोडक्ट्स थे. और यहीं से उन्हें स्वदेशी आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने का आईडिया आया.
केशव विष्णु पेंढरकर और उनका परिवार मुंबई के तीन कमरों के घर में रहता था. जगह कम थी इसी लिए अपने पहले प्रोडक्ट की मेकिंग रसोई घर से शुरू हुई. अन्य कमरों को गोदाम और ऑफिस बना दिया गया. और VICCO का प्रोडक्ट बना 'वीको वज्रदंती' जो 18 जड़ी बूटियों से बना एक टूथ क्लीनर पाउडर था.
प्रोडक्ट तैयार था बस उसे मार्केट में बेचना था. केशव विष्णु पेंढरकर ने इसका भी रास्ता निकाल लिया और अपने बेटों के साथ घर-घर जाकर अपना वीको वज्रदंती बेचना शुरू किया। यह काफी संघर्ष भरे दिन थे क्योंकी लोग उन्हें अपने घर से भगा देते थे फिर भी केशव ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे प्रोडक्ट फेमस हो गया.
थोड़ी कमाई हुई तो VICCO नाम की कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो गया और फिर क्या केशव विष्णु पेंढरकर की निकल पड़ी. बिज़नेस हिट हो गया और उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग के लिए उन्हें एक इंडस्ट्रियल शेड खरीद ली
VICCO Vajradanti हिट हो गया और अब बारी थी VICCO Toothpaste बनाने की, तबतक केशव विष्णु पेंढरकर के बेटे गजानन ने फार्मेसी में डिग्री पा ली और उन्होंने 1957 में जड़ी-बूटियों की मदद से एक टूथ पेस्ट तैयार करने की सोची, विको ने प्राकृतिक तत्वों, आयुर्वेद के गुणों वाला टूथपेस्ट बनाया था जो रसायन मुक्त था.
छोटी सी राशन दुकान चलाने वाले केशव ने VICCO जैसी मल्टीप्रोडक्ट कंपनी खड़ी कर दी, अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित कर दिया और 1971 में अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने के बाद वो दुनिया छोड़कर चले गए. जब केशव दास का निधन हुआ तब कंपनी का सालाना टर्नओवर एक लाख रुपए था. उनके बाद बिज़नेस की बागडोर गजानन पेंढरकर के हाथ में चली आई. गजानन ने अपनी लगन और बिजनेस स्किल से विको को एक ब्रांड बना दिया.
फिर बनी विको टर्मरिक
मंजन और टूथपेस्ट के बाद गजानन ने VICCO Turmeric Cream बनाने की सोची। उन्होंने केमिकल फ्री हल्दी और चंदन के साथ पर्क्रतिक तत्वों से बनी क्रीम लॉन्च की, तब ज़माने को इस क्रीम पर भरोसा नहीं हुआ. लोगों को लगा कि कहीं हल्दी उन्हें चेहरे को पीला न कर दे. लोगों के इस भरम को खत्म करने के लिए VICCO ने विज्ञापन चलना शुरू किया और लोगों ने इसे खरीदना शुरू कर दिया वीको के विज्ञापन का गाना ऐसा था जो बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ गया ''विको टरमरिक नहीं कॉस्मेटिक'.
कैमिकल वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स के दौर में VICCO आज भी कैमिकल फ्री आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स बनाने और बेचने का काम करता है. मौजूदा समय में VICCO की तीन फैक्ट्री हैं और 35 सदस्यों वाला पेंढरकर परिवार कंपनी को संभाले हुए है। इसके तीन जगह ब्रांच ऑफिस हैं. नागपुर के पास काफी बड़े पैमाने पर उनकी अपनी जमीन है, जहां पर जड़ी-बूटियां उगाई जाती हैं. कंपनी आज लगभग 40 उत्पाद 30 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट कर रही है.