महिलाएं बिछिया पहनने समय कर रही ऐसी भूल तो खतरे में पड़ जाएगा आपका पति, जानिए!

हिंदू धर्म में महिलाएं शादी के बाद श्रंगार के तौर पर कई आभूषण अवश्य पहनती हैं।

Update: 2022-01-19 13:05 GMT

हिंदू धर्म में महिलाएं शादी के बाद श्रंगार के तौर पर कई आभूषण अवश्य पहनती हैं। इन्हे सुहाग की निशानी के तौर पर भी देखा जाता है। साथ ही मान्यता है कि इन विशेष आभूषणों को पहनने से पति की आयु और यश में वृद्धि होती है। महिलाएं विवाह के बाद अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं। गले में मंगीसूत्र धारण करती हैं तो वही पैरों में बिछिया पहनती है। एक सुहागन औरत के लिए इन आभूषणों का धारण करना अनिवार्य है। महिलाएं बड़ी ही श्रद्धा भाव के साथ इन्हे धारण करती हैं। आज हम महिलाओं के बिछिया धारण करने के सम्बंध में कुछ ऐसे जानकारी देने जा रहे हैं जो शायद आपको न पता हो।

दूसरों को नहीं देनी चाहिए आपनी बिछिया

कहा गया है कि विवाहित महिलाएं अगर बिछिया धारण करती हैं तो उन्हे अपनी पहनी हुई बिछिया किसी दूसरी महिला को नहीं देनी चाहिए। हमारे धर्मशास्त्र में इसे निषेध बताया गया है। बताया गया है कि दूसरी औरत को बिछिया देने से पति-पत्नी के रिस्ते में खटास आ जाता है।

ऐसे पहने बिछिया

कहा गया है कि महिलाओं को दोनो पैर में दूसरी उंगली में बिछिया पहनना चाहिए। इसे लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है। वहीं वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार कहा गया है कि बिछिया पहनने से गर्भाशय स्वस्थ रहता है साथ में ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है।

चंद्र ग्रह होता है शांत

कहा गया है कि पैरों में चांदी की बिछिया पहनने का बहुत महत्व बताया गया है। इसका सम्बंध चंद्र ग्रह से होता है। शादी के बाद जब महिलाएं बिछिया धारण करती हैं तो पति का चंद्र ग्रह मजबूत होता है। वहीं कहा गया है कि अगर बिछिया महिलाओं के पैरों से निकल जाय तो इसे अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि इससे पति को कोई न कोई बीमारी हो सकती है।

नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। ऐसे में किसी कार्य को शुरू करने के पूर्व विशेषज्ञ से जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें।

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