उत्पादन और आमदनी का दूसरा नाम है काली हल्दी की खेती, 4000 रुपए प्रति किलो तक मिलते हैं भाव

Black Turmeric Farming: काली हल्दी की खेती किसानो के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

Update: 2021-10-23 01:32 GMT

Black Turmeric Farming: अगर किसान काली हल्दी की खेती (Turmeric Farming) करते हैं तो उन्हें गारंटीड उत्पादन और मुनाफा प्राप्त होता है। काली हल्दी (Black Turmeric) की बाजार में पर्याप्त डिमांड है। क्योंकि इस हल्दी का उपयोग कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने के साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं मे उपयोग किया जाता है। काली हल्दी की फसल तैयार होने में कीटनाशक दवाइयों की जरूरत नहीं होती। ऐसे में लागत कम होने से मुनाफा बढ़ जाता है।

काली हल्दी का उपयोग (Black Turmeric Uses)


काली हल्दी (Black Turmeric) का औषधीय उपयोग होने के साथ-साथ कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है। वही आयुर्वेदिक दवाओं में काली हल्दी का उपयोग कर निमोनिया, खांसी, बुखार अस्थमा आदी में किया जाता है। जानकारी के मुताबिक काली हल्दी को पीसकर दूध के साथ चेहरे पर उसका लेप करने से निखार आता है। वही मिर्गी जैसे रोगों में भी हल्दी उपयोगी है। बताया तो यहां तक जाता है माइग्रेन जैसी बीमारी पर काली हल्दी का माथे पर लेप राहत पहुंचाने वाला माना गया है।

प्रति एकड़ उत्पादन (Black Turmeric Production Per Acre)


1 एकड़ के खेत में कच्ची काली हल्दी का उत्पादन (Black Turmeric Production) करीब 50 से 60 कुंटल प्राप्त है। वही सुखाने पर वह 12 से 15 कुंटल तक होती है। 1 किलो काली हल्दी की कीमत 500 रुपए से लेकर 4000 तक मिलता हैं। कई युवा किसानों ने यहां तक दावा किया है की ऑनलाइन वेबसाइट (E commerce Website) में काली हल्दी (Black Turmeric) 5000 रुपए प्रति किलो तक है। एक अनुमान के मुताबिक अगर काली हल्दी मात्र 500 रुपए प्रति किलो कि दर से बेचा जाए तो 1 एकड़ में मिलने वाली 15 कुंटल काली हल्दी करीब 7.30 लाख रुपए की होती है।

आसान है काली हल्दी की खेती (Black Turmeric Production)


अगर काली हल्दी की खेती (Black Turneric Farming) की बात की जाए तो 1 एकड़ में 2 क्विंटल हल्दी के बीज की आवश्यकता होती है। वही खेती में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता। गोबर की खाद में या वर्मी कंपोस्ट (Vermi Compost)उत्पादन और आमदनी का दूसरा नाम है काली हल्दी की खेती, 500 से 4000 रुपए प्रति किलो मिलते हैं भाव

 का उपयोग कर हल्दी का पर्याप्त उत्पादन लिया जा सकता है। बात अगर सिंचाई की करें तो काली हल्दी की बोनी जून के महीने में होती है। यह बरसाती फसल है। जून में बोनी उपयुक्त माना गया है। ऐसे में पानी न गिरने पर एक या दो बार हल्की सिंचाई की आवश्यकता है। काली हल्दी में कीटों का प्रभाव न के बराबर रहता है। ऐसे में आज के समय सबसे अधिक महंगाई फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड का है। जिसमें किसानों की फसल में लागत बढ़ जाती है। काली हल्दी की खेती किसानों के लिए अत्याधिक लाभप्रद लागत कम और कीमत ज्यादा होने की वजह से है।

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