Twitter's 'Poison Pill': सऊदी के शाही परिवार के एक सदस्य ने मस्क के ऑफर को ठुकराया

ट्विटर बोर्ड ने आज इस योजना(Poison pills) को एक मत से मंजूरी दे दी है।

Update: 2022-04-16 08:22 GMT

Twitter's 'Poison Pill': एलन मस्क के ऑफर पर बोर्ड ने poison pill का सहारा लिया है। एलन मस्क के द्वारा ट्विटर(Twitter) के टेकओवर की कोशिश को रोकने के लिए ट्विटर बोर्ड ने भी यह दांव चला है। दरअसल, Poison pill एक खास रणनीति होती है। जिसके तहत कंपनियां किसी भी शख्स या ग्रुप के द्वारा जबरन टेकओवर की कोशिश को नाकाम करने के लिए खास अधिकारों का उपयोग करती हैं। ट्विटर बोर्ड ने आज इस योजना को एक मत से मंजूरी दे दी है। एक बड़े निवेशक सऊदी के राजकुमार ने भी इससे पहले एलन मस्क के ऑफर को खारिज कर दिया है। ट्विटर को खरीदने के लिए एलन मस्क(Elon Musk) ने 54.2 डॉलर प्रति शेयर का कैश में ऑफर दिया है। मस्क ऊंचे ऑफर की मदद से सीधे निवेशकों से जरूरी हिस्सेदारी खरीदने की रणनीति पर काम कर रहे है। इसी कारण से बोर्ड(Twitter Board) ने भी आज अपनी रणनीति सामने रखी है।

मस्क के सामने कई परेशानियां:

ट्विटर के एक बड़े निवेशक और सऊदी के शाही परिवार के सदस्य अल वलीद बिन तलाल अल सऊदी ने मस्क के ऑफर को ठुकरा दिया है। 15 अप्रैल को एक ट्वीट में सऊदी के राजकुमार(Saudi Prince) ने कहा कि मैं नहीं मानता कि ट्विटर के भविष्य को देखते हुए एलन मस्क के द्वारा दिया गया ऑफर ट्वीट की वास्तविक कीमत के करीब भी है। ट्विटर में एक बड़े और लंबी अवधि के निवेशक होने के कारण से केएचसी(KHC) और मैं इस ऑफर को ठुकराता हूं। मस्क ने इस डील के लिए कैश में $54.2 प्रति शेयर का ऑफर दिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, मस्क को इस डील को पूरा करने के लिए इस कीमत पर 43 अरब डॉलर खर्च करने होंगे। मस्क ने 4 अप्रैल को ट्विटर में 9% की हिस्सेदारी ली थी। हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उसने ऑफर पेश किया है। उन्होंने कहा कि ट्विटर को अपना मकसद पूरा करने के लिए बदलाव करना जरूरी होगा। और ऐसी स्थिति में वह कंपनी से बाहर भी निकल सकते हैं।

टि्वटर बोर्ड की रणनीति:

आज ट्विटर बोर्ड ने सीमित समय के लिए 1 शेयर होल्डर राइट्स प्लान को मंजूरी दे दी है। ये राइट्स प्लान तब लागू होगा जब कोई व्यक्ति या ग्रुप ट्विटर के आउटस्टैंडिंग कॉमन स्टॉक्स के 15% शेयर ही खरीद करेगा। इस प्लान के लागू होने से बाजार में नये शेयरों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी जिससे जबरन टेकओवर करने की कोशिश करने वालों की कुल स्टोक्स में हिस्सेदारी गिर जाएगी और उसे ओर अधिक शेयर खरीदने पड़ेंगे जिससे डील अनुमान से महंगी हो जाएगी। जबरन टेकओवर से कंपनी को बचाने के लिए बोर्ड और मैनेजमेंट ऐसे कदम उठाता है।

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