Katasraj Mandir: पाकिस्तान में है सतयुग का शिव कुण्ड और हजारों वर्ष पुराना महादेव मंदिर, जहां पांडव हुए थे मूर्छित
Katasraj Mandir: कटासराज मंदिर भगवान शिव (Lord Shiv) और द्वापरयुग के पांडवों से भी सम्बंधित हैं इसलिए यह हर लिहाज से हिन्दुओं के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान हैं.;
Katashraj Shiv Temple In Pakistan: कटासराज मंदिर पाकिस्तान में स्थित एक हिन्दू मंदिर (Hindu Temple in Pakistan) जो की भारत का ही कभी एक अभिन्न हिस्सा हुआ करता था। यह स्थान भगवान शिव (Lord Shiv) और द्वापरयुग के पांडवों से भी सम्बंधित हैं इसलिए यह हर लिहाज से हिन्दुओं के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक तीर्थ स्थान हैं. इस अतिप्राचीन ज्ञात स्थान का हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णन होने के साथ इसके आसपास के क्षेत्रों में कभी सांस्कृतिक और शिक्षा के और संगीत के ज्ञान के लिए भी जाना जाता था। लेकिन आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे की कटासराज मंदिर को कब और किसने बनाया था? कटासराज मंदिर कहाँ स्थित हैं? तथा कटासराज मंदिर का इतिहास क्या है?
Katasraj Temple Images:
कटासराज मंदिर कहाँ स्तिथ है
Where is Katasraj Temple located? कटासराज मंदिर (Katasraj Temple) पाकिस्तान के चकवाल जिले से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित (Katasraj Temple In Hindi) हैं। यह पाकिस्तान के पंजाब राज्य के अंदर आता हैं। पाकिस्तान के पंजाब में चकवाल जिले में चोव़ा सैदानशाह नामक कस्बा है, वहीं स्थित है कटासराज मंदिर (Katasraj Temple is located)।
कटासराज की कहानी
Pakistan Shiv Mandir Story In Hindi: कटासराज मंदिर का सबसे पुराना इतिहास भगवान शंकर और माता सती से सम्बंधित है, सती, शिव से प्रेम करती थीं लेकिन उनके पिता राजा दक्ष के द्वारा शिव का अपमान किया गया था और वे उनका विवाह नहीं होने देना चाहते थे इसलिए वियोग में देवी सती ने आत्मदाह कर लिया। महादेव को ये जानकर अत्यधिक पीड़ा हुई और उनके अश्रु बहने लगे उनके अश्रु की बूंदे धरती पर गिरी थीं जिससे की दो कुंड निर्मित हो गए थे। जिनमें से एक आज कटासराज मंदिर में पाकिस्तान में हैं तथा दूसरा राजस्थान के पुष्कर में स्थित है. इसे कटाक्ष कुंड भी कहा जाता है।
महाभारत काल से जुड़ी कटासराज मंदिर की कथा
Katasraj Temple Mahabharat Story: द्युत क्रीड़ा में पांडव राजपाट हारने के बाद बनवास को जाते हैं जहाँ वे इस स्थान में कुछ समय के लिए रहते हैं, ये वही स्थान है जहाँ पर युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नो के उत्तर दिए थे।
वनवास के लिए गए पांडव जंगलो में रहते थे व समय-समय पर स्थान बदलते रहते थे जिससे की उन्हें कोई पहचान न पाए, एक बार वे सरस्वती नदी के किनारे बसे इस स्थान में पहुंचे थे जिसे द्वैतवन कहते थे (महाभारत के समय में इस स्थान को द्वैतवन के नाम से जाना जाता था ) यहाँ पर उन्हें प्यास लगी थी तो सबसे पहले नकुल कुंड की खोज कर वहां जल लेने के लिए उतरते हैं और तभी वहां एक यक्ष प्रकट होता है और पहले सवालों के जवाब देने के लिए कहता है लेकिन प्यास से व्याकुल नकुल ने यक्ष को अनदेखा करते हुए जल को पीने लगते हैं, और वहीं मूर्छित हो जाते हैं. ऐसे ही प्यासे सभी पांडव क्रमशः मूर्छित हो जाते हैं, और फिर अंत में युधिष्ठिर आते हैं और यक्ष ने उनके सामने भी यही शर्त रखी लेकिन युधिष्ठिर ने अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए यक्ष के सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए। इससे यक्ष उनसे इतना प्रसन्न हुए कि उन्होंने सभी पांडवो को वापस चेतना में ला दिया और उन्हें वहां से जल पीने की अनुमति भी दे दी।
कटासराज मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
When Was Katas Raj Temple Built In hindi? सतयुग में इस जगह पर कुंड का निर्माण हुआ था वह कुंड महाभारत काल यानी की द्वापरयुग में भी होने का वर्णन मिलता है, लेकिन द्वैतवन नामक इस स्थान में मंदिर या किसी महल के होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं।
अतः यहाँ पर हिन्दू मंदिर का निर्माण छठीं शताब्दी में हिन्दू राजाओं के द्वारा करवाया गया था। तथा नौवीं शताब्दी तक यहाँ मंदिर का निर्माण कार्य हुआ था। यहाँ पर सात मंदिर बनाये गए थे। क्योंकि उसके बाद यहाँ शुरू होता मुगलो के हमलों का सिलसिला, गांधार (वर्तमान में अफगानिस्तान) में तक्षशिला विस्वविद्यालय को बर्बाद करते हुए मुगलों ने यहाँ के मंदिरों को तोड़कर नष्ट कर दिया यहाँ केवल तीन मंदिर ही कुछ ठीक हालत में हैं। विभाजन के बाद पाकिस्तान की सरकारों द्वारा इसकी देखरेख और धरोहर के सरंक्षण में कोई खास ध्यान नहीं दिया गया।
कटासराज मंदिर की सरंचना
Katasraj Temple Structure: कटासराज मंदिर परिसर में केवल तीन ही मंदिर शेष रह गए हैं तथा परिषर में कटाक्ष कुंड के पास राजा हरी सिंह नलवा की हवेली भी है। इन मंदिरों में कश्मीरी स्थापत्य कला की झलक मिलती है। दीवालों व छतों पर आकर्षक भित्ति चित्र उकेरे गए हैं, जो की हजार साल के बाद भी नष्ट नहीं हुए हैं। मंदिरों को चौकोर व वर्गाकार आकार में बनाया गया है।
कटासराज का अर्थ क्या है?
What is the meaning of Katasaraja? कटासराज शब्द संस्कृत भाषा के शब्द कटाक्ष से बना है. क्योंकि सती के पिता ने शिवजी को अपमानित करने के लिए उनपर कटाक्ष किया था। जिसके कारण सती ने आत्मदाह किया और विरह वेदना में आकर शिवजी के अश्रु से यह कुंड निर्मित हुआ था। इसलिए इसे कटाक्ष कुंड (Kataksh Kund) भी कहा जाता है। और यहाँ का नाम कटासराज पड़ गया था।
किस हालत में है कटासराज:
Katasraj Temple Present Condition: कटासराज मंदिर में वक्त और मुगलो की मार सहते हुए मात्र तीन ही मंदिर बच पाए हैं, साथ ही इस मंदिर के प्राचीन झरोखें आदि असामाजिक तत्वों की भेंट चढ़ गए जिन्हे तोड़ दिया गया है। यहाँ की मूर्तियां व प्राचीन शिवलिंग भी गायब हैं, रामचंद्र मंदिर में भगवान राम की मूर्तियां भी गायब हैं.