Golden Island: इंडोनेशिया के मछुआरों को मिला सोने का द्वीप, इस बेशकीमती खजाने से भरे आइलैंड का प्राचीन भारत से है नाता
Golden Island: मछुआरों की तो किस्मत चमक गई आइलैंड में अरबों का खजाना मिला है
Golden Island: आपने हॉलीवुड की फिल्मों में देखा होगा कि कुछ खोजी लोग खजाने की तलाश में इसी दूर आइलैंड में जाते हैं और नक़्शे को देखकर आइलैंड के खजाने को खोज निकालते हैं। आप सोचेगें की ये सब तो सिर्फ फिल्मों में होता है लेकिन इस फ़िल्मी स्क्रिप्ट को सच साबित कर दिया गया है। इंडोनेशिया ने मछुआरों को एक आइलैंड में सोने चांदी और जवाहरात का जखीरा मिल गया है। जहाँ इतनी संपत्ति है की उसकी कीमत अरबो रुपए है। खास बात ये है कि जिस आइलैंड में खजाना मिला है उसका अपने देश भारत से सदियों पुराना नाता है।
इंडोनेशिया के मछुआरों की तो किस्मत बदल गई है उन्होंने सोने से भरा हुआ आइलैंड तलाश लिया है. जिन लोगों ने उस गोल्डन आइलैंड की खोज की है वो उसे 5 साल से तलाश रहे थे ऐसा माना जाता था कि जिस गोल्डन आइलैंड की वो खोज में अपना समय लगा रहे थे वो सिर्फ कहानियों में था। लेकिन खोजी लोगों ने उस काल्पनिक आइलैंड को दुनिया के सामने लेकर रख दिया है।
बुद्ध की सदियों पुरानी प्रतिमा मिली
इंडोनेशिया के बारे में हमेशा ये कहा जाता है कि वहां खजाने से भरे द्वीप मौजूद है लेकिन ये बाते अभी तक सिर्फ काल्पनिक मानी जाती थी और सिर्फ इनके बारे में कहानियों में सुनने को मिलता था। पिछले 5 साल से पलेमबांग के पास मुसी नदी में मौजूद एक आइलैंड की तलाश कुछ मछुआरे कर रहे थे। ये जगह घनघोर जंगल, खतरनाक जानवरों और पानी में विशालकाय मगरमच्छों के झुंड के बीच है। इसी लिए यहाँ जाने की कोई हिम्मत भी नहीं जुटा पाता था। अब जाकर मछुआरों को सफलता मिली जहाँ उनको ऐसा द्वीप मिला जिसमे सोने के बेशकीमती रत्न, सिक्के, अंगूठियां, कांस्य भिक्षुओ की घंटियां और 8 वी शताब्दी के गहना से सजी हुई बुद्ध की प्रतिमा मिली है जिसकी कीमत लाखों पॉउंड है।
श्रीविजय सभ्यता से है नाता
द गार्डियन अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस आइलैंड की कलाकृतियां श्रीविजय सभ्यता के वक़्त की हैं। श्रीविजय साम्राज्य 7 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच एक शक्तिशाली साम्राज्य था। लेकिन एक सदी के बाद ये राज्य रहस्य्मय तरीके से गायब हो गया। इस साम्राज्य का भारत से गहरा नाता रहा है। ब्रिटिश समुद्री पुरातत्विद डॉ सीन किंग्सले के अनुसार ये साम्राज्य एक 'जल वर्ल्ड' हुआ करता था। जहाँ के लोग लकड़ी से नाव बनाते थे और अपने घर को भी नाव बना देते थे। जब ये सभ्यता ख़त्म हुई तो उनके लकड़ी के घर, महल और मंदिर उनके साथ डूब गए।
सिंदबाद द सैलेर में भी ज़िक्र
डॉ किंग्सले का कहना है कि श्रीविजय का साम्राज्य काल्पनिक नहीं था। यहाँ बौद्धभिक्षु रहते थे और इसकी राजधानी में 20 हज़ार से ज़्यादा सैनिक थे। ये धरती का आखिरी साम्राज्य था जो अचानक गायब हो गया। हैरान करने की बात ये है कि इससे पहले भी थाईलैंड से अलग अलग टीमों को बना कर इसकी खोज की कोशिश की गई लेकिन कुछ नहीं मिला मगर बीते 5 साल में कभी सोने के जवाहरात मिलते हैं तो कभी कलाकृतियां और मूर्तिया मिलती हैं। एक महान नाविक सिंदबाद द सैलेर जिसकी कहानी या कार्टून अपने बचपन में सुनी और देखि होंगी उसकी किताब में ये लिखा गया है की'इस जगह से उसे काफी खजाना मिला था।
समुद्र मंथन की कथा से जोड़ा जाता है
किंग्सले ने कहा है कि इस आइलैंड से पुराने बर्तन धूपदान भी मिले हैं। फारस और चीन के बड़े भट्टों में उस वक़्त नायब टेबल वेयर का सामान आयात किया जाता था। श्रीविजय काल में कांस्य और सोने की बौद्ध मूर्तियां मिली है और वहां इनके मंदिर हुआ करते थे। इसके आलावा यहाँ से राहु की प्रतिमा मिली है। जिसमे सनातन मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन की कथाओं से जोड़ा जाता है। इसके अलावा यहाँ तमाम ऐसी कलाकृतियां भी मिली हैं जिनका ताल्लुख भारत से है।