Afghanistan vs Taliban: राष्ट्रपति भवन में तालिबानियों का कब्जा, देश छोड़कर भाग गए राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह
Afghanistan vs Taliban: तालिबानियों ने राष्ट्रपति भवन (अर्ग) पर भी कब्जा कर लिया है. हालात को देखते हुए अमेरिका ने जारी किया सिक्योरिटी अलर्ट
अफगानिस्तान में जिसकी आशंका थी वही हुआ. तालिबान राष्ट्रपति भवन (अर्ग) में कब्जा करने में कामयाब रहा है. रविवार को एक ओर जहां तालिबान ने अर्ग को कब्जे में ले लिया, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह अपने करीबियों के साथ देश छोड़कर भाग गए. फिलहाल अफगानिस्तान में हालात तेजी से बदल रहें हैं. अमेरिका ने भी काबुल में बदल रहे हालातों को देखते हुए सिक्योरिटी अलर्ट घोषित कर दिया है.
राष्ट्रपति भवन में कब्जा करने के बाद तालिबान द्वारा देश में अमन बहाली के लिए एक समन्वय परिषद बनाई गई है. जिसकी अगुवाई पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई करेंगे. इसमें अफगानिस्तान के मौजूदा सीईओ अब्दुल्ला अब्दुल्ला और जिहादी नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार भी होंगे.
अमेरिका ने सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया
काबुल में तेजी से बदले हालात के बीच अमेरिका ने सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया. इसमें कहा गया- काबुल में एयरपोर्ट समेत सुरक्षा हालात तेजी से बदल रहे हैं. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरपोर्ट पर आग लगी हुई है. काबुल के कुछ इलाकों में लूटपाट भी हुई है. तालिबान हालात संभालने की कोशिश कर रहे हैं. करीब 200 अफगानी भी भारत पहुंचे हैं. इनमें अशरफ गनी के सीनियर एडवाइजर और कुछ सांसद शामिल हैं.
अमेरिका जा रहे हैं गनी?
गनी के करीबी सूत्रों के मुताबिक वे संभवत: किसी पड़ोसी देश के रास्ते अमेरिका जा रहे हैं. उनके साथ उपराष्ट्रपति सालेह और उनके कुछ बेहद करीबी लोग भी हैं. अफगान रक्षा मंत्री ने बिना नाम लिए इशारों में गनी और सालेह पर तंज कसा. काबुल में पुलिसकर्मी सरेंडर कर रहे हैं. उन्होंने अपने हथियार भी तालिबान को सौंप दिए हैं.
लोगों की आंखे खुली तो तालिबानी हो चुकी थी राजधानी
काबुल के लोगों ने सुबह जब आंखें खोलीं तो तालिबान दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे. दोपहर होते-होते राजधानी पर उनका कब्जा हो गया और कुछ देर बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के देश छोड़ने की खबर आ गई. तालिबान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुल्ला बरादर अखंद अंतरिम सरकार के प्रमुख हो सकते हैं.
तालिबान शांति से सत्ता हासिल करना चाहता है
इससे पहले अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने बताया था कि तालिबान काबुल पर हमला नहीं करने के लिए राजी हो गया है. वो शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर चाहता है और ये इसी तरह होगा. नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र रहें. तालिबान ने भी बयान जारी करके कहा था कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है.
गलत निकला अमेरिका का अनुमान
अमेरिका ने अपनी सेना को अफगानिस्तान से हटाने के पहले अनुमान लगाया था कि तालिबान को काबुल कब्जे में लेने में लगभग 3 माह का समय लग जाएगा, तब तक अमेरिका अपने सैनिकों, दूतावास के अधिकारियों एवं नागरिकों को वहां से वापस ला लेगा. लेकिन अमेरिका का अनुमान गलत साबित होते दिख रहा है. जिस तेजी के साथ तालिबान अफगानिस्तानी प्रांतों में कब्ज़ा कर रहा है, कुछ ही दिनों में राष्ट्रीय राजधानी काबुल भी उसके कब्जे में आ जाएगी.
अमेरिका की गुहार 'हमारे दूतावास पर हमला मत करना'
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी वार्ताकारों ने तालिबान से गुहार लगाई है कि अगर वे राजधानी काबुल पर कब्जा कर लेते हैं तो वे उसके दूतावास पर हमला नहीं करेंगे. साथ ही उसके नागरिकों और दूतावास के अफसरों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. तालिबान के साथ मुख्य अमेरिकी दूत जाल्मय खलीलजाद के नेतृत्व में बातचीत हो रही है.
बताया ये भी जा रहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में आने वाली सरकार (जो तालिबान की ही होगी) को आर्थिक सहयोग लटकाने की धमकी देकर अपने लोगों की सुरक्षा पुख्ता करना चाहता है.
उधर, कतर में चल रही वार्ता में अफगान सरकार के वार्ताकारों ने तालिबान को देश में लड़ाई खत्म करने के बदले सत्ता के बंटवारे के सौदे की पेशकश की है.
दूतावास से कर्मचारियों को नहीं हटाया जाएगा: बाइडेन
राष्ट्रपति जो बाइडेन के अफसरों ने जोर देकर कहा कि काबुल दूतावास में उसके करीब 5400 कर्मचरी हैं. इसमें 1400 अमेरिकी हैं, जिन्हें अफगानिस्तान से नहीं हटाया जाएगा.
विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, 'हम अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस ले रहे हैं, लेकिन हम अफगानिस्तान से नहीं हट रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका अफगानिस्तान के साथ मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखेगा.'