Ravan Ka Sasural : मध्यप्रदेश से था लंका पति रावण का गहरा रिश्ता, उनकी ससुराल में नही होता पुतला दहन, यहां से जुड़ी हैं 3 बातें

Ravan Ka Sasural Kahan Hain : एमपी के मंदसौर में नहीं मनाया जाता दशहरा.

Update: 2022-10-04 09:39 GMT

Mandodari Ka Mayka Kahan Hai? : लंका पति रावण (Ravan) का मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) से गहरा रिश्ता रहा है। प्रदेश के मंदसौर जिले (Mandsaur District) के लोग आज भी दशहरा (Dussehra) पर्व रावण का पुतला नही जलाते है। यहां के लोगों का मानना है कि राजकुमारी मंदोदरी (Mandodari) का यहां मायका था। उस हिसाब रावण यहां के जमाई थे। रावण का पाप-पुण्य चाहे जो भी रहा है, लेकिन वे यहां के जमाई थे और इस दिन वे उत्सव नहीं मनाते।

नर्मदा से निकले शिवलिंग की रावण करता था पूजा

रावण विद्वान होने के साथ ही शिव भक्त भी था। यही वजह है कि रावण भगवान शिव की पूजा-आराधना पूरे भक्ति भाव से किया करता था। बताते है कि जिस शिवलिंग की रावण पूजा करता था वह शिवलिंग एमपी से बहने वाली मां नर्मदा नदी (Narmada River) की थी और रावण नर्मदा नदी पूजा करने आता था। रावण ने भगवान शिव की यहीं तपस्या की थी। 

मां नर्मदा शिव की थी बेटी

विष्णु पुराण में नर्मदा नदी के उद्गम का विस्तार से वर्णन है। भगवान शिव के पसीने से नर्मदा नदी प्रकट हुई इसलिए इन्हें भगवान शिव की पुत्री कहा जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि नर्मदा के पत्थर को शिवलिंग मानकर विधि विधान से पूजा करने वालों की चिंता स्वयं शिव करते हैं।

एक यह भी था रावण कनेक्शन

शक्तिशाली साम्राज्यों में माहिष्मती (Mahisyamati) मध्यप्रदेश में ही स्थित था। जिसे वर्तमान मे महेश्वर (Maheswar) कहा जाता है। माहिष्मती के राजा सहस्त्रार्जुन थे। जानकारों का कहना है कि नर्मदा तट पर रावण (Ravan) तपस्या कर रहा था और सहस्त्रार्जुन के कारण रावण की तपस्या बाधा आ गई। जिसके बाद दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। शक्तिशाली सहस्त्रार्जुन (Sahastrarjun) ने रावण का वध नही किया और उसे बंदी बना लिया। रावण को भगवान शिव ने परशुराम की मदद से रावण को सहस्त्रार्जुन की कैद से मुक्त करवाया और रावण को लंका तक पहुंचने के लिए मदद करते रहें। ज्ञात हो कि इस तरह की कथाएं मान्यताओं के आधार पर आधारित है। रीवा रियासत न्यूज इसकी पुष्टि नही करता है।

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