16 Kala's of Lord Shri Krishna: भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाएं क्या हैं? कभी सोचा है! आज जान लीजिये
What Are the 16 Kala's of Lord Shri Krishna: कृष्ण भगवान की 16 कलाएं क्या थीं
श्री कृष्ण की 16 कलाएं कौन कौन सी हैं: आज से 5000 साल पहले यूपी के मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. श्री विष्णु के अवतार श्री कृष्ण एक पूर्ण पुरुष माने जाते हैं. क्योंकि उन्हें 16 कलाओं का ज्ञान था. श्री कृष्ण से पहले सांसर का उद्धार करने के लिए अवतरित हुए भगवान श्री राम 14 कलाओं में निपुड़ थे. भगवान शिव से लेकर ब्रह्मा और श्री विष्णु ने श्री कृष्ण को ही भगवान बताया था और गीता के अनुसार श्री कृष्ण ने खुद को भी इस संसार का भगवान कहा था.
आज हम आपको बताने वाले हैं कि कृष्ण की 16 कलाएं कौन कौन सी हैं, यहां कला का अर्थ आर्ट ऑफ़ लिविंग से है. जिसे जीने का सही तरीका कहा जाता है. उन 16 कलाओं में श्री कृष्ण को महारत प्राप्त थी
भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाएं क्या हैं? (Krishna Ji Ki 16 Kalayen)
What Are the 16 Kala's of Lord Shri Krishna:
श्री कला- जिसके पास श्री संपदा की कला होगी वह धनी होगा, धनी का मतलब सिर्फ दौलत होना नहीं है. बल्कि मन वचन और कर्म से धनी होना है. जो व्यक्ति किसी भी मदद मांगने वाले को निराश नहीं करता वह समृद्धशाली जीवन जीता है
भू कला- भू-सम्पदा का अर्थ है जो बड़े भू-भाग का मालिक हो, या किसी बड़े भू-भाग पर राज करता हो.
कृति कला- जिस व्यक्ति की अपनी ख्याति हो, वह लोकप्रिय हो, भरोसेमंद हो और जन कल्याण में पहल करे
वाणी सम्मोहन कला- जिस व्यक्ति की आवाज में जादू हो, अर्थात वह अपनी बातों से किसी का भी मन मोह ले, ना चाहते हुए भी लोग उसकी तारीफ करें, श्री कृष्ण अपनी बातों से किसी का भी मन मोह लेते थे. इसी लिए उन्हें मोहन कहा जाता है
लीला- जिस व्यक्ति के दर्शन से ही आनंद मिले, जिसके व्यक्तित्व में अलग चमक हो. आज की भाषा में उसे Aura कहते हैं
कांति कला- जिसका चेहरा देखकर आप खो जाएं, उसके सौन्दर्य से प्रभावित हो जाएं। चाहकर भी उसके चेहरे से नज़र ना हटा सकें।
विद्या कला- जिसके पास विद्या है वह ज्ञानी है. ज्ञान होना और प्राप्त करना भी कला है. ज्ञान की भी कई कलाएं हैं. जैसे वेद ज्ञान, संगीत ज्ञान, युद्ध कला, राजनीति, कूटनीति कला.
विमल कला- जिसके मन में छल-कपट, भेदभाव ना हो वह निष्पक्ष हो, उसमे कोई दोष ना हो, उसके विचार निर्मल हों
उत्कर्षिनी शक्ति- जो लोगों को अपनी ओर प्रेरित कर ले, उन्हें उनके कर्तव्यों के प्रति जागृत करे, जो दूसरों को उनकी मानिल पाने के लिए उत्साहित करे उनका मार्गदर्शन करे. जब अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में हथियार डाल दिए थे तब श्री कृष्ण ने ही उन्हें गीतोपदेश देकर युद्ध जारी रखने के लिए प्रेरित किया था
नीर-क्षीर विवेक- जो अपने ज्ञान से न्यायोचित निर्णय ले, विवेकशील हो और लोगों को सही मार्ग सुझाने में सक्षम हो
कर्मण्यता- जो सिर्फ उपदेश ना दे बल्कि उन उपदेशों का खुद पालन करे
योगशक्ति- योग-अद्यात्म में निपुण हो, योग का अद्यात्म से सीधा नाता है. जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है. योग भी एक कला है
सत्य धारणा- सच कहना सभी के बस की बात नहीं होती, किसी का दिल दुखे या बुरा लगे तो झूठ बोल दिया जाता है. लेकिन जो सत्य का मार्ग चुनते हैं वह कठिन से भी कठिन परिस्थिति में सत्य का साथ नहीं छोड़ते।
विनय- जिसके अंदर अहंकार ना हो, चाहे वह सर्वज्ञानी हो, सर्व शक्तिमान हो लेकिन अहंकार उसके पास कभी ना भटके। व्यक्तित्व शालीन हो
आधिपत्य- वह किसी पर जोर-जबरजस्ती से अपना आदिपत्य न जमाए, लोग खुद उसका अधिपत्य स्वीकार कर उसे अपना स्वामी मान लें. जिसके अधिपत्य में लोगों को सुरक्षा और संरक्षण मिले
अनुग्रह क्षमता- जो दूसरे के कल्याण के लिए काम करे, परोपकार करे, अपने सामर्थ्य का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए करे
श्री कृष्ण इन्ही 16 कलाओं से निपुण थे. इसी लिए वह सर्वज्ञानी, ब्रह्माण्ड के ज्ञाता थे.