Kurukshetra: कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवों से पहले भी हुआ था एक युद्ध, चला था 3 वर्ष

Bhishma Pratigya: कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध में कौरव और पांडव से पहले भी एक महायुद्ध हो चुका है जो कि महायुद्ध 3 वर्ष तक चला था।

Update: 2022-08-13 12:09 GMT

Kurukshetra War: कुरुक्षेत्र का नाम आते हैं कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध की बातें याद आने लगती हैं। महाभारत से जुड़ी हुई कई कथाएं इस युद्ध की बारे में हमें सोचने पर विवश कर देती हैं। महाभारत (Mahabharat) के इस महासंग्राम में भारतवर्ष के अनेक महान योद्धाओं ने अपनी कुर्बानी दी थी। आज भी लोग विवाद की स्थिति पर महाभारत युद्ध (Mahabharat War) की उपमा दिया करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) में महाभारत युद्ध में कौरव और पांडव से पहले भी एक महायुद्ध हो चुका है। यह महायुद्ध 3 वर्ष तक चला था। आइए जानें इस महायुद्ध के बारे में।

इनके बीच हुआ था युद्ध

कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवों के युद्ध के पहले भी एक महा युद्ध हुआ था। इस महायुद्ध में एक ओर थी कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा शांतनु (Raja Shantnu) के पुत्र चित्रांगद (Chitragand) और दूसरी ओर से सामने थे गंधर्वराज चित्रांगद।

क्यों हुआ युद्ध

कुरुक्षेत्र में चित्रांगद और गंधर्वराज चित्रांगद (Gandharvraj Chitragand) के बीच युद्ध को समझने के पूर्व उसका कारण जानना आवश्यक है। इसके पूर्व की कुछ कड़ियों से हम आप को जोड़ते हैं। हस्तिनापुर के राजा शांतनु ने दूसरा विवाह सत्यवती से किया था। पूर्व मैं राजा शांतनु गंगा से विवाह कर चुके थे। भीष्म पितामह (Bhishma Pitamah)  शांतनु और गंगा के ही पुत्र थे।

सत्यवती से विवाह के बाद सत्यवती और राजा शांतनु के दो पुत्र हुए। जिनका नाम चित्रांगद और विचित्रवीर्य (Vichitraveerya) था। शांतनु पुत्र चित्रांगद बहुत पराक्रमी थे। युद्ध में कई राजाओं को पराजित कर दिया। वह पृथ्वी में किसी को अपने समान महारथी नहीं समझते थे। इसी वजह से गंधर्वराज ने युद्ध करने की ठान ली।

हुआ था भीषण युद्ध

War Between Raja Chitragand And Gandharvaraj Chitragand: चित्रांगद और गंधर्व राज चित्रांगद के बीच कुरुक्षेत्र में भीषण युद्ध हुआ था। शांतनु चित्रांगद के बढ़ते पराक्रम को देखते हुए गंधर्व राज चित्रांगदा ने हस्तिनापुर पर चढ़ाई कर दी। सरस्वती नदी के तट पर कुरुक्षेत्र के मैदान में घमासान युद्ध शुरू हुआ। यह युद्ध कहते हैं 3 वर्ष तक चला। जिसमें गंधर्व राज चित्रांगद ने शांतनु कुमार चित्रांगद को घेरकर मार दिया। और युद्ध समाप्त हुआ।

युद्ध के बाद भीष्म पितामह ने विचित्रवीर्य को राजगद्दी पर बैठाकर उन्हें राजा बना दिया। उस समय विचित्र वीर बालक ही थे। पितामह के बताएं मार्ग पर चलते हुए राज्य का कार्यभार संभाला।

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