सतना में बच्ची का हुआ जन्म और अमेरिका में होगा पालन-पोषण

सतना। जब कोई सहारा देने वाला नहीं होता और हम पूर्ण रूप से भगवान पर ही निर्भर हो जाते हैं तब किसी न किसी रूप में ईश्वर सहारा दे देता है। कुछ इसी तरह की कहानी एक सतना के अनाथालय में रह रही मासूम बच्ची की है। जिसे जन्म के बाद ही मां-बाप छोड़कर चले गये थे और वह अनाथ आश्रम में रही थी। जिसे अपनी की ममता छाव देने वाले सात समंदर पार कर पहुंच गये। अब उसका पालन पोषण अमेरिका में होगा।

Update: 2021-07-08 12:17 GMT

सतना। जब कोई सहारा देने वाला नहीं होता और हम पूर्ण रूप से भगवान पर ही निर्भर हो जाते हैं तब किसी न किसी रूप में ईश्वर सहारा दे देता है। कुछ इसी तरह की कहानी एक सतना के अनाथालय में रह रही मासूम बच्ची की है। जिसे जन्म के बाद ही मां-बाप छोड़कर चले गये थे और वह अनाथ आश्रम में रही थी। जिसे अपनी की ममता छाव देने वाले सात समंदर पार कर पहुंच गये। अब उसका पालन पोषण अमेरिका में होगा।

बता दें कि बच्ची को गोद लेने के लिये अमेरिका से एक दंपत्ती बुधवार को सतना पहुंचे। अनाथालय मातृछाया में पल रही बच्ची को न्यायालय की पूरी प्रकिया के तहत दंपत्ती ने मासूम बेटी को गोद लिया है। अमेरिका दंपत्ती बच्ची को गोद लेने के बाद वे काफी उत्साहित दिखे। दरअसल अमेरिका के अलबामा से बुधवार को एक दंपत्ती सतना मातृछाया पहुंचे। जहां दंपत्ती ने बच्ची को न्यायिक प्रक्रिया के तहत गोद लिया। जानकारी के मुताबिकए दंपत्ती में जॉन मिलर और उनकी पत्नी सारा जॉय मिलर जो कि अमेरिका में एकता राइट ग्रांट अलबामा के निवासी हैं वे मातृछाया अनाथालय पहुंचे। इस दंपत्ती के दो बच्चे पहले से हैं जिनमें एक बेटी और एक बेटा है।

मातृछाया के अध्यक्ष प्रदीप सक्सेना ने बताया कि यह बच्ची 18 माह की है। जिसका नाम वर्षा हैं। बच्ची को 18 माह पहले जिला अस्पताल से मातृछाया लाया गया हैं। बच्ची के होंठ कटे हुए थे, जिसके चलते उसके माता.पिता ने डिलीवरी के बाद जिला अस्पताल में छोड़कर चले गए थे। शासन की प्रक्रिया के तहत बच्ची को मातृछाया में रखा गया, जहां उसकी पूरी देखभाल 18 महीने तक की गई।

सक्सेना ने बताया कि आज इस बच्ची को उम्मीद का आंचल अमेरिका के दंपत्ती के रूप में मिल गया है। इस मामले पर महिला बाल विकास अधिकारी सौरव सिंह ने बताया कि अमेरिका के दंपत्ती मातृछाया में पल रही 18 मई की वर्षा को लेने सतना पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि जिले के मातृछाया से इससे पहले वर्ष 2021 में ही 5 बच्चे और बच्चियां विदेश जा चुके हैं। इसके अलावा कुल 9 मासूम बच्चे और बच्चियां विदेश जा चुके हैं।

Tags:    

Similar News