Rewa के वॉटर फॉल एवं प्राकृतिक स्थलों का दीदार करने पहुचते है शैलानी, अव्यवस्था से लौट रहे पर्यटक, वीरान हो रहे स्थल
Shailani arrives to see Rewa's water fall and natural places, tourists returning from chaos, deserted places...रीवा। वॉटर फॉल एंव प्राकृतिक स्थलों के लिये रीवा धनी है। जंहा विंध्य क्षेत्र ही नही यूपी और महाराष्ट्र आदि राज्यों से भी ऐसे मनोरम दृश्यो का दीदर करने के लिये शैलानी पहुचते है।
Shailani arrives to see Rewa's water fall and natural places, tourists returning from chaos, deserted places
रीवा। वॉटर फॉल एंव प्राकृतिक स्थलों के लिये रीवा धनी है। जंहा विंध्य क्षेत्र ही नही यूपी और महाराष्ट्र आदि राज्यों से भी ऐसे मनोरम दृश्यो का दीदर करने के लिये शैलानी पहुचते है। लेकिन देखरेख के आभाव में पिकनिक स्पॉट वीरान हो रहे है। जबकि कुछ वर्ष पूर्व ऐसे स्थालो में लाखो रूपये खर्च करके पर्यटको के लिये व्यवस्था बनाई गई थी।
बारिश में पर्यटको की बढ़ती है आवाजाही
बारिश शुरू होते ही वॉटर फॉल एंव प्राकृतिक स्थलों में दूर-दूराज से शैलानियों की आवाजाही शुरू हो गई है। जंहा वे ऐसे मनोरम दृश्यो को देखने के लिये पहुचने लगे है। लेकिन कई स्थानों पर लोगों के प्रवेश की अनुमति ही नहीं दी जा रही है। पिकनिक स्पॉट तक पहुंचने के रास्ते बंद किये गए हैं। जिससे पर्यटको में मायूसी देखी जा रही है।
बड़ी संख्या में आते हैं शैलानी
जिले में स्थित पुरवा जलप्रपात, क्योंटी जलप्रपात, बहुती जलप्रपात, चचाई, टोंस वाटर फाल, पावन घिनौचीधाम, आल्हाघाट, खंधो मंदिर परिसर, गोविंदगढ़ तालाब सहित अन्य कई प्रमुख स्थल हैं जहां लोग प्राकृतिक सौंदर्य को देखने पहुंचते हैं।
विंध्य क्षेत्र सहित उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र से लोग भी यहां आकर पूरे परिवार के साथ आनंद उठाते हैं। प्रयागराज से बड़ी संख्या में छात्रों की टीमें प्रति वर्ष यहां पहुंचती हैं।
पिकनिक स्पाटों पर एक नजर
क्योंटी यह प्राकृतिक एवं पुरातात्विक महत्व का स्थल है। यहां पर वाटरफाल, किला, घाटी, भैरव मंदिर आदि देखने पर्यटक पहुचते हैं। यहां पर पुरातत्व विभाग ने कुछ समय पहले ही 50 लाख रुपए खर्च किया था। लेकिन पर्यटकों के हिसाब से सुरक्षा नही है और महज आत्महत्या का केन्द्र बन गया है।
जिले का घिनौची धाम में जमीन से लगभग 200 फीट नीचे दो जल प्रपातों का संगम देखते ही बनता है। प्राचीन शिवलिंग है जहां पर जलप्रपात से स्नान होता है। यहां 35.50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। पर्यटकों के लिए यह बंद है।
सिरमौर क्षेत्र योगिना माता भी है। यहां शैलचित्रों की श्रृंखला है, यह पर्यटकों के लिए खुला है। यहां और सुविधाएं पर्यटक चाहते हैं। तो वही आल्हाघाट लोकदेव आल्हा की तपोस्थली रही है। पुरातत्वविद अलेक्जेंटर कनिंघम ने इस स्थान को प्रकाश में लाया था। 1883 में शिलालेख देखकर इसे प्रकाशित कराया था। तीन शिलालेख हैं, महाराजा नर्सिंगदेव का संवत 1216 ईसवी का उल्लेख है। गणेश और आल्हा की प्रतिमा आकर्षक रूप से उकेरी गई है। यहां डेढ़ सौ फीट लंबी गुफा है।
वाटर फाल
जिले के चचाई वाटर फाल में जब तक बीहर नदी का ओवरफ्लो पानी जाता है, तब तक यह प्रपात आकर्षण का केन्द्र रहता है और भीड़ आती है। तो वही पुरवा वाटर फाल रीवा-सेमरिया मार्ग स्थित है। यह हमेशा खुला रहता है। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। रेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए नहीं बल्कि नेताओं-अफसरों के लिए है। गेस्टहाउस की मांग यहां पर हो रही है। यहां पर बड़ी संख्या में हर दिन पर्यटक आते हैं। इसी तरह की स्थित टोंस वॉटर फाल एंव गोविंदगढ़ में स्थित वॉटर फॉल भी शैलानियों की पसंद है।