अभिभावकों को Fees में बड़ी राहत दे सकते हैं रीवा के Private School, 24 करोड़ तक की...

बच्चों के School की Fees अभिभावकों को परेशान कर रही है। Private School और सरकार साथ मिलकर काम करें तो अभिभावकों को बड़ी राहत मिल सकती है। रीवा

Update: 2021-02-16 06:22 GMT

अभिभावकों को Fees में बड़ी राहत दे सकते हैं रीवा के Private School, 24 करोड़ तक की...

रीवा। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से लगभग सभी की आर्थिक गतिविधियां बंद हो गई हैं। लोगों के पास Income का कोई श्रोत नहीं है। ऐसे में बच्चों के School की Fees अभिभावकों को परेशान कर रही है। Private School और सरकार साथ मिलकर काम करें तो अभिभावकों को बड़ी राहत मिल सकती है। रीवा में अनुमानित तौर पर 24 करोड़ तक की राहत School दे सकते हैं। 
बता दें जिले में लगभग 1200 निजी विद्यालय संचालित हैं। जिसमें 1.59 लाख बच्चे अध्यनरत हैं। छात्रों की औसतन 500 रूपए प्रतिमाह के हिसाब से School Fees अभिभावक दे रहें हैं। लॉकडाउन के चलते मार्च माह से ही स्कूल बंद हो गए हैं। अधिकाँश अभिभावकों ने मार्च माह की फीस जमा भी कर दी है। अब स्कूल संचालक इसके बाद की फीस जमा करने का दवाव अभिभावकों पर बना रहें हैं। 

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वहीँ अभिभावकों का कहना है की हम हमेशा ही 12 माह की फीस नियमित रूप से जमा करते हैं। पर इस वैश्विक आपदा के चलते कमाई का जरिया बंद है। ऐसे में स्कूल संचालकों को भी समझना चाहिए एवं राहत देनी चाहिए। हम ऐसी स्थिति में फीस देने में सक्षम नहीं है। स्कूल संचालक खुद आगे आकर बच्चों की फीस माफ़ करें।
इस मामले को सरकार भी गंभीरता से ले रही है। कई राज्य की सरकारों ने तो स्कूलों को आदेश तक जारी कर दिए हैं की वे इस महामारी के दौरान बच्चों की फीस न लें। परन्तु अभी मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। भोपाल के सूत्र बताते हैं की प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है, लगातार अभिभावकों से जबरन वसूली की शिकायते मिल रही हैं। जल्द ही मध्यप्रदेश सरकार इस मामले में आदेश जारी करेगी। आदेश की अवहेलना करने वाले स्कूल संचालकों पर कार्रवाई भी की जाएगी। 

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अगर ऐसा होता है तो रीवा जिले के अभिभावकों को 24 करोड़ तक की बड़ी राहत मिल सकती है। हांलाकि कतिपय स्कूलों ने आगे बढ़कर बच्चों की फीस माफ़ कर दी है। वहीँ कुछ स्कूलों के अपने पक्ष भी हैं। उनका कहना है की अगर हम फीस माफ़ कर देते हैं तो शिक्षकों और स्टाफ की सैलरी कैसे देंगे, वो भी तो जरूरी है। खैर, अब प्रदेश सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है, यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा। 
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