रीवा की इस सरकारी स्कूल के बाहर जो लिखा है वो पढ़कर बुरा भी लगता है और हंसी भी आती है
REWA News: स्कूल के बाहर प्रबंधन ने एक जानकारी लिखी है लेकिन वो शुद्ध नहीं है
REWA News: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में मौजूद एक सरकारी स्कूल के बाहर स्कूल प्रबंधन ने एक नोटिस लगाया है, जिसे पढ़कर हंसी भी छूटती है और बुरा भी लगता है, हंसी इस लिए आती है क्योंकि नोटिस में जो लिखा है वो शुद्ध नहीं है और बुरा इस लिए लगता है कि यह हिंदी की अशुद्धि हिंदी मीडियम स्कूल के बाहर लिखी हुई है। यहां जो बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं उन्हें वो अशुद्धि ही सही उच्चारण लगने लगेगा, और यहां पढ़ाने के लिए आने वाले सर मेडम ने भी इसे देखकर अनदेखा किया होगा
ऐसा क्या लिखा है
रीवा के सरकारी स्कूल के बाहर प्रबंधन ने लिखवाया है "कृपया वेल का उपयोग करें" असल में यह वेल नहीं "बेल" होना चाहिए, मतलब घंटी जो टन-टन बजती है। इंग्लिश में "वेल" को कुआँ कहते हैं. तो स्कूल में आने वाला किसी कुँए का उपयोग करे? या फिर घंटी का? भले ही यह भूल मामूली हो और इसपर किसी को ज़्यादा ब्लेम नहीं किया जा सकता लेकिन गलती तो गलती है. और हिंदी लिखने में गलती एक हिंदी मीडियम स्कूल में हुई है तो इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। स्कूल में पढ़ने आने वाले बच्चे रोज़ इस नोटिस को पढ़ते होंगे, उन्हें तो यही लगेगा कि बेल नहीं वेल होता है क्योकि मास्टर साहेब ग़लत थोड़ा लिखेंगे, वो तो गलतियों को सुधारने वाले गुरु जी हैं.
कौन सी स्कूल है
रीवा सिटी के फोर्ट रोड और उपरहटी के बीच में कई दशकों से मौजूद इस स्कूल का नाम है "शासकीय माध्यमिक विद्यालय कन्या उपरहटी" जिसके मुख्य गेट के बाहर कृपया वेल का उपयोग करें लिखा है. इसके लिए ज़्यादा मशक्क्त भी नहीं करनी है सिर्फ "व" शब्द में एक लकीर ही तो खींचनी है वो 'ब" बन जाएगा, सिम्पल...
कोई बहुत बड़ी ग़लती नहीं है लेकिन है तो सही
माना की लिखने में थोड़ा इधर उधर हो जाता है लेकिन जब बात स्कूल की हो, तो इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता, इन्ही छोटी-छोटी ग़लतियों और खामियों के कारण देश में सरकारी स्कूल बदनाम हैं. ये कोई ऐसी गलती नहीं है कि इसपर किसी के खिलाफ एक्शन लिया जाए, लेकिन इस मामूली सी भूल को सुधारा तो जा सकता है. स्कूल के मेन गेट में ही हिंदी गलत हो जाएगी तो क्लास रूम के अंदर क्या होता होगा? अगर कोई बच्चा परीक्षा में मात्रा पाई लगाना भूल जाता है तो उसके नंबर काट लिए जाते हैं ना? तो फिर उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों से ऐसी छोटी भूल कैसे बर्दाश्त की जा सकती है।