REWA: कोरोना मरीजों के लिए आ गया नया नियम, ऐसे किया जायेगा डिस्चार्ज
REWA: कमिश्नर कार्यालय में आयोजित बैठक में रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कोरोना संक्रमित रोगियों को उपचार के बाद डिस्चार्ज करने के संबंध में चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कोरोना पॉजिटिव रोगियों को स्वास्थ्य विभाग के नवीनतम निर्देशों के अनुसार उपचार के बाद डिस्चार्ज करें।
इस संबंध में नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। पहले प्रथम जांच के पॉजिटिव आने पर 14 दिन बाद पुन: सेम्पल की जांच करायी जाती थी। इसके निगेटिव आने पर 24 घण्टे में दुबारा जांच कराकर रिपोर्ट निगेटिव आने पर रोगी को डिस्चार्ज किया जाता था। अब इसमें परिवर्तन करके संक्रमित रोगी की जांच के 10 दिन के बाद यदि तीन दिनों तक किसी तरह के लक्षण नहीं पाये जाते हैं तो उसे डिस्चार्ज करें।
बैठक में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि नई गाइडलाइन के अनुसार यदि रोगी में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तो उसे 10 दिन के पश्चात संक्रमण मुक्त मान लिया जायेगा। रोगी में कोरोना के लक्षण दिखाई देने से 10 दिनों तक यदि तीन दिनों से बुखार के लक्षण न हों तो भी डिस्चार्ज किया जायेगा। इसके लिये पुन: जांच की आवश्यकता नहीं है लेकिन डिस्चार्ज होने के बाद रोगी को होम आईसोलेशन में रहना होगा।
कमिश्नर ने नई गाइडलाइन के संबंध में निर्देश देते हुए कहा कि कोरोना से संक्रमित ऐसे गंभीर रोगी जिनकी प्रति मिनट सांस की दर 30 से अधिक है तथा उनके ऑक्सीजन का सेचुरेशन 95 प्रतिशत से कम है उन्हें लगातार उपचार सुविधा दी जायेगी। इनकी स्थिति में सुधार होने तथा ऑक्सीजन सेचुरेशन 95 प्रतिशत से अधिक होने एवं संक्रमण के लक्षण न पाये जाने पर उन्हें दस दिनों में डिस्चार्ज करें। किन्तु यदि रोगी में निमोनिया के लक्षण पाये जाते हैं तो उन्हें डिस्चार्ज न करें।
कमिश्नर ने कहा कि कोरोना संक्रमण के माइल्ड केस में संक्रमण के 10 दिनों में रोगी को डिस्चार्ज किया जा सकता है यदि उसमें तीन दिनों तक बुखार के कोई लक्षण न हों। उन्होंने कहा कि कोरोना रोगियों के उपचार के लिये तैनात डॉक्टर तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मी यदि पीपीई किट का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें क्वारेंटाइन में भेजने की आवश्यकता नहीं है किन्तु कोविड रोगियों के उपचार के लिये डॉक्टर एवं चिकित्सा कर्मियों को सात से 15 दिनों तक ही तैनात रखें। उसके बाद उन्हें उस ड¬ूटी से हटा लें। गर्भवती तथा शिशु को स्तनपान कराने वाली चिकित्सक एवं महिला स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड रोगियों के उपचार के लिये तैनात न करें। इन्हें अन्य रोगियों के उपचार के लिए तैनात किया जा सकता है।
कमिश्नर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये फिजिकल दूरी, मास्क के उपयोग तथा अन्य सुरक्षात्मक उपाय करना अनिवार्य है। सार्वजनिक स्थलों पर थूकना दण्डनीय अपराध है। सभी व्यक्तियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग भी आवश्यक है। इनका पालन सुनिश्चित करायें। कोरोना से बचाव के लिए दस साल से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल करें। बैठक में मेडिकल कालेज के डीन डॉ. एपीएस गहरवार ने कोरोना संक्रमित रोगियों से उपचार के नवीनतम प्रोटोकाल तथा गाइडलाइन की जानकारी दी। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरएस पाण्डेय, उप संचालक डॉ. एनपी पाठक, डॉ. अक्षय श्रीवास्तव, डॉ. मनोज इंदुलकर, डॉ. पीके लखटकिया, डॉ. आशुतोष असाटी तथा अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे।[signoff]