REWA : बेपटरी होती स्वास्थ्य व्यवस्था, जूनियर डाक्टरों के बाद इंटर्नशिप करने वाले 100 डाक्टरों ने दिया इस्तीफा
रीवा। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में पांचवें दिन जूनियर डॉक्टर मध्य प्रदेश सरकार से की गई 6 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे रहे। जिसे लेकर तकरीबन 178 जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को सामूहिक इस्तीफा भी दे दिया था। वहीं इंटर्नशिप करने वाले तकरीबन 100 डॉक्टरों ने भी इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद अब स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होती दिखाई दे रही है। इलाज का पूरा दारोमदार अब सीनियर डॉक्टरों के कंधे पर आ गया है।
रीवा। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में पांचवें दिन जूनियर डॉक्टर मध्य प्रदेश सरकार से की गई 6 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे रहे। जिसे लेकर तकरीबन 178 जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को सामूहिक इस्तीफा भी दे दिया था। वहीं इंटर्नशिप करने वाले तकरीबन 100 डॉक्टरों ने भी इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद अब स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होती दिखाई दे रही है। इलाज का पूरा दारोमदार अब सीनियर डॉक्टरों के कंधे पर आ गया है।
178 जूनियर डॉक्टरों दे चुके हैं इस्तीफा
कोरोना संकट काल में देवदूत बनकर लोगों की जिंदगी को बचाने वाले जूनियर डॉक्टर आज अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसके चलते रीवा के श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में तकरीबन 178 जूनियर डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफा भी दे दिया है। वहीं इंटर्नशिप करने वाले 100 अन्य जूनियर डॉक्टरों ने भी इस्तीफा दे दिया, अब जूनियर डॉक्टर के इस्तीफे के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी सी हो गई है।
मांगों पर डटे हैं जूनियर डॉक्टर
बताया जा रहा है कि छह सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर बीते पांच दिनों से हड़ताल पर हैं। वहीं इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे लोग अब परेशान होते दिखाई दे रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि सरकार उन से सीधा संवाद करे और उनकी समस्याओं को सुनते हुए स्टाइपेंड सहित अन्य मांगों पर विमर्श करते हुए उन्हें काम पर लौटने की अनुमति दे परंतु बीते पांच दिनों में अब तक ऐसा देखने को नहीं मिला, जिसके चलते जूनियर डॉक्टरों का विरोध जारी है।
सीनियर डॉक्टरों के कंधों पर आया बोझ
दरअसल, अब तक रीवा के श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में तकरीबन 190 जूनियर डॉक्टर कार्यरत थे, वहीं 203 सीनियर डॉक्टरों की देखरेख में मरीजों का इलाज किया जा रहा था। मगर अब जब 178 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया तो अब मरीजों की देखरेख के लिए मात्र सीनियर डॉक्टर तथा 12 जूनियर डॉक्टर ही बचे हैं। डॉक्टरों की माने तो संजय गांधी अस्पताल में कोरोना व ब्लैक फंगस के तकरीबन 200 मरीज भर्ती हैं। इसके अलावा अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज भी लगातार अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में मरीजों का इलाज करना सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है।