रीवा: बाढ़ राहत की कार्य योजना कागजों तक रह गई, वार्डों में नहीं कर रहे संपर्क
रीवा ( VIPIN TIWARI) । शहर के करीब दो दर्जन वार्ड बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। तेज बारिश के दिनों में इन वार्डों में जलभराव होता है। साथ ही कई वार्ड तो ऐसे हैं जहां पर हल्की बारिश में भी लोगों के घरों में पानी भरने लगता है। इस वर्ष अभी तक नगर निगम की ओर से पूर्व की तैयारियां भी उस स्तर की नहीं हुई हैं जो पहले के वर्षों में होती रही हैं। कागजी योजना निगम के अफसरों ने पहले वाली ही तैयार की है। फील्ड पर जाकर जलभराव प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से संपर्क भी नहीं किया गया है। इतना ही नहीं तैयारी बैठकें भी पहले की तरह नहीं हो सकी हैं, जिसमें आम लोगों का भी सहयोग लिया जाता रहा है।
गर्मी के दिनों में जब तैयारी के लिए अवसर था, उस समय नालों की सफाई नहीं कराई गई। नियमित आयुक्त के खाली पद होने का भी तैयारियों को प्रभावित करता रहा है। जिला पंचायत के सीईओ को प्रभार दिया गया था, जिस पर उन्होंने व्यवस्थाओं पर ध्यान देने के बजाय दूसरे विवादित मामलों में ही समय काट दिया। कोरोना संक्रमित का अधजला शव छोडऩे और रतहरा तालाब से लॉकडाउन में अतिक्रमण हटाकर विस्थापितों को कोई व्यवस्था नहीं दी। इन्ही मामलों में जवाब देते रहे। फिर नए आयुक्त आए, ये अभी शहर को समझने में समय बिता रहे हैं। कुछ हिस्सों में बाढ़ की तैयारियों का निरीक्षण किया था।
कलेक्टर के निर्देश पर भी नहीं बनी व्यवस्थाकलेक्टर इलैयाराजा ने शहर के कुछ हिस्सों का भ्रमण कर बाढ़ के बारे में जानकारी ली थी। निगम के अधिकारियों को उन्होंने कई निर्देश दिए थे, उस पर अब तक कोई अमल नहीं हुआ है। शहर के कई ऐसे हिस्से हैं जो बीहर और बिछिया नदियों के किनारे होने की वजह से बाढ़ प्रभावित हैं तो कई ऐसे हैं जहां पर पानी की निकासी के इंतजाम नहीं होने से जलभराव की आशंका हर समय बनी रहती है। स्टार्म वाटर ड्रेन प्रोजेक्ट पर गति लाने का निर्देश दिया था लेकिन उस पर भी कोई प्रगति नहीं हुई है।
बचाव के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहींनगर निगम के पास बाढ़ के दौरान रेस्क्यू के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन नहीं है। अब भी पहले की तरह निगम के कर्मचारी वार्डों में फावड़ा और तगाड़ी लेकर ही पहुंचते हैं। पूर्व में आई बाढ़ के दौरान भी संसाधनों की कमी के चलते समस्याएं आई थी। इसके बाद दो मोटरबोट शासन की ओर से उपलब्ध कराए गए थे, जिनका इस साल परीक्षण नहीं कराया गया है। चार नाव, तीन जेसीबी और तीन ट्रेक्टर ही कुल संसाधन के नाम पर है। निगम अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ की स्थिति में निगम के टैम्पो और कचरा वाहनों को भी उपयोग में लिया जाएगा। साथ ही प्राइवेट लोगों की मदद ली जाएगी।
- वालेंटियर की टीम नहीं की गई तयबाढ़ की आपदा से बचाने के लिए शासन की ओर से निर्देश है कि स्थानीय स्तर पर सहयोग लेने के लिए लोगों को चिन्हित किया जाए। शहर के भीतर वालेंटियर तैयार किए जाएं। इसमें सामाजिक संगठनों के लोगों मदद लेने के लिए कहा गया है। साथ ही तैराकी में एक्सपर्ट लोगों को भी जोड़ा जाना है। शहर में बिछिया, निपनिया, पुष्पराज नगर, कबाड़ी मोहल्ला आदि स्थानों में बड़ी संख्या में ऐसे युवक हैं जो पहले भी बाढ़ के दौरान नदी से लोगों के बहते सामान और उन्हें बचाने का प्रयास किया था। ये तैराकी में एक्सपर्ट हैं ऐसे लोगों को अब तक चिन्हित नहीं किया गया है।
लोगों को यह तक नहीं बताया कि बाढ़ में क्या करेंबरसात का समय चल रहा है, कभी भी तेज बारिश हो सकती है। ऐसे में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को यह बताना होता है कि आपदा के दौरान कहां पर और किस तरह से सूचना दें। उनके मोहल्ले के आसपास कहां पर बाढ़ राहत केन्द बनाए गए हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने पूर्व में बनाए गए बाढ़ राहत केन्द्रों को ही इस वर्ष भी बनाने का दावा किया है लेकिन इसकी सूची अब तक प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए सार्वजनिक नहीं की है। शहर का महाजन टोला, बिछिया, तकिया, तरहटी, रानीतालाब, उपरहटी, निपनिया, बंदरिया, पुष्पराज नगर, घोघर, पंचमठा, कबाड़ी मोहल्ला, बांसघाट, पद्मधर कालोनी, झिरिया, जयंतीकुंज सहित करीब दो दर्जन से अधिक की संख्या में ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर बाढ़ की आशंका होती है।
----------------नदी के किनारे जो भी क्षेत्र हैं, वहां तेज बारिश में जलभराव की अधिक आशंका होती है। पहले निगम के अधिकारी बरसात के पहले ही आते थे और संवाद स्थापित कर यह बताते थे कि बाढ़ अचानक आई तो हमें कहां सूचित करना है और परिवार को कहां सुरक्षित पहुंचाना है। इस साल अभी तक कोई सूचना नहीं है।सुधा गौतम-----पहले कई बार मोहल्ले में जलभराव हो चुका है, बड़ा नुकसान होता रहा है। लोग अपने करीबियों के यहां जाकर राहत लेते रहे हैं। चार साल पहले आई बाढ़ के दौरान राहत शिविर बनाए गए थे, इस साल अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है कि शिविर कहां बनाया गया है।आशुतोष शुक्ला[signoff]