REWA : पैसे की भूख के चलते धरती के भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर ने मरीज को सुला दिया मौत की नींद

रीवा। डाक्टरों को धरती के भगवान का दर्जा प्राप्त है। कई ऐसे मिशाल सामने आते हैं जहां डाक्टरों ने मौत मुंह से लोगों को बचा लिया है। लेकिन विगत दिवस एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े हो गये हैं।;

Update: 2021-06-22 09:11 GMT

रीवा। डाक्टरों को धरती के भगवान का दर्जा प्राप्त है। कई ऐसे मिशाल सामने आते हैं जहां डाक्टरों ने मौत मुंह से लोगों को बचा लिया है। लेकिन विगत दिवस एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे भगवान का दर्जा प्राप्त डाक्टर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े हो गये हैं।

बता दें कि महज डेढ़ लाख रुपये न जमा करने पर रीवा हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में उपचार के लिए भर्ती मरीज राम कुशल साकेत निवासी सेमरिया को मौत की नींद सुला दिये। यह आरोप मृतक के परिजनों ने लगाते हुये रीवा हास्पिटल के सामने शव रख कर हंगामा शुरु कर दिया।

परिजनों ने बताया कि 31 मई को राम कुशल साकेत साइकिल से घर को लौट रहा था। तभी अज्ञात बस की ठोकर से गिर गये। घायल अवस्था में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ले गये। जहां डॉक्टर सोनपाल जिंदल उपचार कर रहे थे। परिजनों ने बताया कि डाक्टर जिंदल ने कहा कि कोरोना काल चल रहा है, मरीज को रीवा हास्पिटल में ले जाकर भर्ती कर दो। वहीं पर उपचार किया जायेगा।

परिजन घालय को रीवा हास्पिटल ले गये। परिजनों ने बताया कि ऑपरेशन एंव उपचार के नाम पर 6 लाख रुपये जमा करा लिये। शेष डेढ़ लाख रुपये की मांग कर रहे थे। डेढ़ लाख की व्यवस्था कर देने की बात जब परिजनों ने की तो काउंटर में बैठे युवक ने कहा कि पैसे नहीं जमा करोगो तो लाश लेकर जाओगे। घटना की जानकारी लगते ही नायब तहसीलदार सहित पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। परिजनों को समझाईस दी तब मामला जा कर शांत हुआ।

जाने क्या है परिजनों का आरोप

परिजनों का आरोप था कि रीवा हास्पिटल में उपचार के नाम पर डॉक्टरों ने 6 लाख रुपये जमा कराये थे, जिसे वह अपने गहने जेवर एंव कर्ज लेकर जमा किया था। नायब तहसीलदार ने जब अस्पताल के रिकाड खंगाले तो मरीज का महज 4 लाख रुपये बिल बना हुआ था। जिसमें से मरीज के परिजन 2 लाख 80 हजार रुपये ही रीवा हास्पिटल में जमा किये थे। शेष 1 लाख 20 हजार रुपये मरीज के परिजनों को देना था लेकिन इसी बीच मौत हो जाने पर रीवा हास्पिटल के प्रबंधन ने मरीज पर शेष 1 लाख  20 हजार रुपये माफ कर दिये थे।

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