रीवा: आंगनवाड़ी केन्द्रो मे मंगल दिवस पर शुरू हुआ अब कमीशन का खेल, सुपरवाईजरों के माध्यम से वसूली जाती है मोटी रकम
रीवा: जिले के महिला बाल विकास विभाग मेें जमकर अंधेरगर्दी का आलम व्याप्त है, कहीं समूहों को लाभ तो कहीं कार्यकर्ताओं से पैसा वसूली का मामला सुर्खियों में बना हुआ है, अब इन दिनों मंगल दिवस पर कमीशन का खेल का मामला प्रकाश में आया है, जहां सुपरवाईजरों के माध्यम से कार्यकर्ताओं से नजराना वसूला जाता है।
प्राप्त सूत्रों के अनुसार महिला बाल विकास कि सुपरवाइजरों द्वारा मंगल दिवस पर शासन से प्राप्त होने वाली राशि पर प्रति केन्द्र 5 सौ रूपये की मांग किये जाने का आरोप है,आरोप में यह भी कहा गया है कि परियोजना सिरमौर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से सुपरवाईजरों के द्वारा मंगल दिवस की राशि में नजराना मांगा जाता है,प्रति कार्यकर्ताओं से 5 सौ रूपये की मांग जबरन की जाती है.
यह भी कहा गया है कि जिला स्तर से किसी भी प्रकार की राशि कार्यकर्ताओं के खाते में भेजी जाती है उसमें से सुपरवाईजर के द्वारा कहा जाता है कि 5 सौ रूपये देना यह पैसा पहुंचाना है,हमेंशा से सुपरवाईजरों के द्वारा कार्यकर्ताओं पर धौंस दिखाया जाता है,अभी तक यह मामला सिरमौर में सामने आया है,जिसकी शिकायत कार्यकर्ताओं ने परियोजना अधिकारी सिरमौर से भी की है,लेकिन शिकायत का कोई निराकरण अभी तक नहीं निकल पाया है.
आरोप में यह भी बताया गया है कि स्व-सहायता समूहों से राशि सुपरवाईजर के माध्यम से मांगी जाती है,जब सिरमौर में इस तरह का मामला उजागर हो रहा है तो यही हाल जिले भर में चल रहा होगा,अगर कोई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इसका विरोध करती है तो सुपरवाईजरों के द्वारा कार्य से पृथक करने की धमकी दी जाती है,ऐसे में क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
महिला बाल विकास में भर्रेशाही का आलम बना हुआ है। आरोप में नाम न छापने की शर्त पर कार्यकर्ताओं नें बताया कि मासिक रिपोर्ट,मंगल दिवस के साथ-साथ साझा चूल्हा सहित अन्य मामले मे गड़बड़ झाला चल रहा है,जिसकी शिकायत उमरी सेक्टर कि कई आंगनवाड़ी महिला कर्मचारी रीवा कलेक्टर,जिला कार्यक्रम अधिकारी रीवा व परियोजना अधिकारी सिरमौर से भी की लेकिन महीने बीत गए अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई बल्कि सुपरवाइजर द्वारा झूंठी रिपोर्ट तैयार कर नौकरी से निकलवानें की धमकी दी जाती है।ऐसे मामले में कार्यवाही ना होना जिला अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा हो गया है,जिला कार्यक्रम अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।