रीवा में मृत कोरोना संदिग्ध की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, अंतिम संस्कार भी कर दिया, अब पूरा गाँव भी खतरे में
एक बुजुर्ग की मौत और अंतिम संस्कार के बाद कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, कोरोना संक्रमित की लाश टायबैग के लिए तरस गई। कारण यह कि स्वास्थ्य विभाग
रीवा। शासन ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमे के लिए अपना खजाना खोल दिया, लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लेागों की नजर व्यवस्था बनाने के लिए नहीं, केवल बजट का बंदरबाट करने की रही और हुआ भी वही। यहाँ एक बुजुर्ग की मौत और अंतिम संस्कार के बाद कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, कोरोना संक्रमित की लाश टायबैग के लिए तरस गई। कारण यह कि स्वास्थ्य विभाग के पास टायबैग था ही नहीं, मजबूरन उसे साधारण पन्नी में लपेट कर घर से श्मसान घाट तक लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। जाहिर है कि उसके संपर्क में आये सैकडों लोगों की जान पर बन आई है।
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उल्लेखनीय है कि जिले के मउगंज क्षेत्र के ग्राम झलवार निवासी एक 68 वर्षीय बुजुर्ग की बांबे से आने के कुछ ही दिन बाद मौत हो गई। उसके सैंपल जांच के लिए भेजा गया था जिसकी जांच रिपेार्ट तीन दिन बाद पॉजटिव आई। लेकिन तब तक न जाने कितने लोग उस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये, इस बात की हिस्ट्री खंगालने में पुलिस अमला लगा हुआ है।
जानकारी मिलने पर ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। पूरे गांव कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। गांव में लोगों के प्रवेश व बाहरनिकलनेपर पाबंदी लगा दी गर्ई है। प्रमुख कारण यह है कि बुजुर्ग के बांबे से लौटने पर कई ग्रामीण उसके संपर्क में तो आये ही साथ ही उसके दाह संस्कार में भी कई लोग शामिल हुए। वहीं विभागीय अमले की लापरवाही ने उन ग्रामीणों को और भी संकट में डाल दिया है। बुजुर्ग के शव को टायबेग सूट से पैक नहीं किया गया, केवल साधारण पन्नी में लपेट शव परिजनों को सौप दिया गया। इससे संक्रमण फैलने का गंभीर खतरा रहता है।
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शासन के करोड़ों रूपये खर्च हो गये लेकिन विभागीय अमला पीपीई किट, टायबेग की व्यवस्था नहीं कर पाया। कागजों में खरीदी कर सारे बजट को खुर्द बुर्द कर दिया गया। वहीं इस मामले में प्रशासनिक अमले की भी लापरवाही कम नहीं मानी जा सकती। किसी भी संक्रमित शव या संदिग्ध शव परिजनों को नहीं दिया जाना चाहिए वहीं ऐसे शवों का अंतिम संस्कार प्रशासनिक अमले को अपनी निगरानी में कराया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा न किया जाना घोर लापरवाही की ओर इंगित कर रहा है।
30 मई को मुंबई से आये थे 15 लोग
ज्ञात हो कि डिघवार गांव के करीब 15 लोग बंाबे में रह कर अपना जीवन यापन कर रहे थे। वह 29 मई की शाम बांबे से चले और 30मई को सतना रेलवे स्टेशन पहुचे। रीवा पहुचने पर सबकी स्क्रीनिंग कराई गई जिसमें सभी स्वस्थ रहे। घर पहुचने पर कुछ लोग गांव के ही एक स्कूल में कोरेंटाइन हो गए वही उनमें से दो बुजुर्ग अपने घर के बाहर एक हाल में कोरेंटाइन हो गए।
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प्रशासन भी बना लापरवाह
संक्रमित या संदिग्ध शव परिजनों को नहीं सौपे जाने चाहिए, ऐसा शासन का स्पष्ट निर्देश है। लेकिन यहंा प्रशासनिक अमले ने घोर लापरवाही बरती। संदिग्ध शव का अंतिम संस्कार खुद न कर उसे परिजनों को सौप दिेया। जिसके चलते उसके संपर्क में आये सैकड़ों लोगों के संक्रमित होने की संभावना प्रबल हो गई है।
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