रीवा के लिये गौरवशाली क्षण, उपेंद्र द्विवेदी बने उपसेनाध्यक्ष
रीवा। गौरवमयी मपरम्परा में रीवा आसमान की बुलंदिया छू रहा है। यह क्षण रीवा के बच्चे-बच्चे के लिये खुशी और गौरवान्वित करने वाला है। आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल उपेद्र द्विवेदी ने उपसेनाध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया है। मध्यप्रदेश के रीवा जिला गंगेव जनपद के गढ़ में जन्मे श्री द्विवेदी रीवा सैनिक स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर एनडीए में शामिल हुये थे। अब अपनी मेधा व पराक्रम की वजह से सर्वोच्च सैन्य पद तक पहुंचे हैं। मध्यप्रदेश के साथ रीवावासी शीघ्र ही उन्हें थन सेनाध्यक्ष पद देखने को आतुर है। इस सर्वोच्च पद पर पहुंच कर श्री द्विवेदी न केवल रीवा का गौरव बढ़ाया है बल्कि समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित कर दिया है।
रीवा। गौरवमयी मपरम्परा में रीवा आसमान की बुलंदिया छू रहा है। यह क्षण रीवा के बच्चे-बच्चे के लिये खुशी और गौरवान्वित करने वाला है। आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल उपेद्र द्विवेदी ने उपसेनाध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया है। मध्यप्रदेश के रीवा जिला गंगेव जनपद के गढ़ में जन्मे श्री द्विवेदी रीवा सैनिक स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर एनडीए में शामिल हुये थे। अब अपनी मेधा व पराक्रम की वजह से सर्वोच्च सैन्य पद तक पहुंचे हैं। मध्यप्रदेश के साथ रीवावासी शीघ्र ही उन्हें थन सेनाध्यक्ष पद देखने को आतुर है। इस सर्वोच्च पद पर पहुंच कर श्री द्विवेदी न केवल रीवा का गौरव बढ़ाया है बल्कि समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित कर दिया है।
हम बताते चलें तो नेशनल डिफेंस एकेडमी के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को दिसंबर 1984 में जम्मू.कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में भर्ती किया गया था। 35 साल से ज्यादा के करियर में उन्होंने कई अहम पदों पर कार्य किया है। लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को सेना के उप प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। इससे पूर्व वे 9 कॉर्प्स के कमांडर थे। श्री द्विवेदी से पहले भारतीय सेना में यह जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट जनरल चंडी प्रसाद मोहंती संभाल रहे थे। मोहंती बीती फरवरी को ही आर्मी स्टाफ के उप प्रमुख बनाए गए थे। इस समय भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे हैं।
नेशनल डिफेंस एकेडमी के पूर्व छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी को दिसंबर 1984 में जम्मू.कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में भर्ती किया गया था। 35 साल से ज्यादा के करियर में उन्होंने कई अहम पदों पर कार्य किया है। उन्होंने ऑपरेशन रक्षक के दौरान चौकीबल में विद्रोह के खिलाफ कार्रवाई, मणिपुर के असम राइफल सेक्टर, ऑपरेशन राइनो में बटालियन का नेतृत्व किया था।