रीवा में नवरात्रि उत्सव शुरू, क्रिस्टल ड्यू टाउनशिप में भी बिराजी मईया

रीवा जिले भर में नौ दिवसीय शारदेय नवरात्रि की शुरुआत रविवार को घट स्थापना के साथ हो गई। जिले में जगह-जगह पंडाल सज गए हैं।

Update: 2023-10-16 03:49 GMT

रीवा जिले भर में नौ दिवसीय शारदेय नवरात्रि की शुरुआत रविवार को घट स्थापना के साथ हो गई।

रीवा जिले भर में नौ दिवसीय शारदेय नवरात्रि की शुरुआत रविवार को घट स्थापना के साथ हो गई। जिले में जगह-जगह पंडाल सज गए हैं। कई पंडालों में बीते दिन ही मां भगवती की प्रतिमा स्थापित हो गई थी, वहीं कुछ पंडालों में रविवार के दिन मातारानी की प्रतिमा स्थापित की गई। साथ ही कलश की स्थापना हुई। दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती पाठ सुबह से पंडालों में होता रहा। देर शाम तक जिले का माहौल और रंगीन हो गया।

नगर में सजे दुर्गा उत्सव पंडालों में देर रात तक माता के जयकारे गूंजते रहे। भक्तगण अपनी आस्था लिये माता के दरबार में डटे रहे। नगर के रानी तालाब व समान स्थित फूलमती माता मंदिर में भोर से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। माता को जल चढ़ाने विशेष रूप से महिलाएं व कन्यायें पहुंचीं। जासीन का फूल अर्पित कर भक्तों ने मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना मातारानी से की।

क्रिस्टल ड्यू टाउनशिप में भी बिराजी मईया

शहर के गोड़हर स्थित क्रिस्टल ड्यू बंगलोज टाउनशिप में माता का आगमन हुआ है। रहवासियों ने बड़ी रीति-रिवाज, पूजन-अर्चन के साथ मईया को विराजा और जौ बोने की शुरुआत के साथ घट स्थापना की। रविवार सुबह यज्ञ, आरती और शाम की आरती के बाद संगीत संध्या का आयोजन किया जा गया। इसके पूर्व इस रेसिडेंसियल सोसाइटी में गणपती बप्पा का भी आगमन हुआ था। सोसाइटी में मौजूद सैकड़ों परिवार एक साथ हर त्योहार का आयोजन करते हैं और खुशियां बाटते हैं।

इसी तरह अष्टभुजी देवी मंदिर, खंधो देवी मंदिर, लक्ष्मणबाग मंदिर, जालपा देवी मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों और शहर के मोहल्लों, बाजारों में बने पंडालों में मईया के भक्तों की आस्था उमड़ती रही।

अखंड दीपक जलाकर बोये गए जवारे

नवरात्रि में देवी के सामने अखंड दीपक जलाकर जवारे उगाने की परम्परा हमेशा की तरह निभाई जायेगी। जवारे बोने की शुरुआत रविवार को नगर में घट स्थापना के साथ की गई। नौ दिनों में अंकुरित होकर जवारा कहलाने वाले इन नन्हें रोपों की नवरात्रि में बहुत महता है, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं नौ दिन पूरे होने के बाद कुछ जवारे भंडार गृह में और शेष को किसी जलाशय में विसर्जित करने की प्रथा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। घटस्थापना के समय जवारे का अपना महत्व है। जवारे को माता अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है। स्थापना इसलिए आवश्यक है कि माता अन्नपूर्णा की कृपा परिवार पर हमेशा बनी रहे।

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