REWA: छोटेलाल हत्या कांड के आरोपियों को आजीवन कारावास, 12 वर्ष बाद आया फैसला

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) रीवा (Rewa) में छोटेलाल हत्या कांड के आरोपियों को आजीवन कारावास।;

Update: 2021-12-28 07:05 GMT

Rewa Madhya Pradesh News: लगभग 12 वर्ष पूर्व गढ़ थाना क्षेत्र के घूमा गांव में हुये हत्याकांड में मा. न्यायालय चतुर्थ सत्र न्यायाधीश जिला रीवा (Rewa) ने फैसला सुनाते हुये दोष सिद्ध हुये तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 5-5 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया है। अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर 1.1 वर्ष के अतिरिक्त कारावास की सजा भोगनी पड़ेगी।

अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे अति लोक अभियोजक डीएन मिश्रा ने जानकारी देते हुये बताया कि 22 जुलाई 2009 को सुबह साढ़े आठ बजे के लगभग राजीव लोचन उर्फ छोटेलाल मिश्रा की गढ़ थाना क्षेत्र के घूमा गांव निवासी सुदामा विश्वकर्मा के खेत समीप उस हमलावरों ने प्राणघातक हमला कर रक्तरंजित कर दिया था।

सूचना के बाद घायल की पत्नी इन्द्रकली एवं बहू रामकली मौके पर पहुंचे जहां घायल छोटेलाल ने उनको बताया कि जब वह सोहागी जा रहा था उसी दौरान रास्ते में कमलेश पाण्डेय, मदनगोपाल, रामलाल तिवारी, बुद्धसेन तिवारी एवं जगजाहिर तिवारी गाली गलौच करते हुये लाठी से हमला किये। आरोपियों के हमले से बुरी तरह घायल हुये राजीव लोचन की मौत हो गयी।

इस मामले में मृतक के पुत्र रमाकांत मिश्रा की शिकायत पर अपराध कमांक 144 /09 अंतर्गत धारा 147, 148, 149, 323, 30, भादसं लेखबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई। प्रकरण में विवेचना पूर्ण कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र धारा 147, 148, 149, 323, 302 भादंवि के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। जहां से उपार्पित होकर माननीय सत्र न्यायाधीश महोदय के न्यायालय को प्राप्त होने के उपरांत अंतरण पर विचारण हेतु इस न्यायालय को प्राप्त हुआ।

प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों और गवाहों के मद्देनजर 27 दिस बर को माण्न्यायालय चतुर्थ सत्र न्यायाधीश आरके शर्मा फैसला सुनाते हुये अभियुक्तगण कमलेश प्रसाद पांडेय पिता लल्लूराम पाण्डये उम्र 45 वर्ष निवासी जोधपुर थाना नईगढ़ी, मदन गोपाल तनय भैयालाल तिवारी उम्र 61 वर्ष निवासी कोट थाना नईगढी एवं जगजाहिर तिवारी पिता चन्द्रिका प्रसाद तिवारी 35 वर्ष निवासी नईगढ़ी को दोषसिद्ध घोषित किये जाने के कारण अभियुक्तगण को भादवि की धारा 302 के अपराध में आजीवन कारावास तथा 5-5 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया जाता है। अर्थदंड की राशि जमा न करने पर अभियुक्तगण एक-एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।

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