रीवा में जलसंकट को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन, कहा पानी नहीं तो वोट भी नहीं
Farmers protested against water crisis in Rewa: रीवा में 855 करोड़ रुपए के माइक्रो इरिगेशन सूक्ष्म दबाब योजना में लेट लतीफी को लेकर नाराज हैं किसान
Rewa: रीवा जिले में सूखे जैसे हालात निर्मित हो गए हैं। यह मात्र मौजूदा वर्ष के हालात नहीं हैं। यदि देखा जाए तो लगभग हर साल गर्मी के दिनों में आम जनता बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करती है। कहने को जल जीवन मिशन से लेकर विधायक और सांसद निधियों के नलकूप, अमृत सरोवर, पुराने जल स्रोतों का गहरीकरण से लेकर कूप निर्माण और फिर बाणसागर के नाम पर कई सिंचाई परियोजनाएं आईं और गईं लेकिन हालात यह हैं कि आम जनता और किसानों की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। यदि कोई किसान लाभ प्राप्त कर रहा है तो अपने निजी उपयोग के लिए कराए गए बोरवेल से जिससे किसान सिंचाई से लेकर पेयजल आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं ऐसे में सबसे बड़ी बाधा बिजली कटौती और बिजली का संकट किसी से छुपा नहीं है।
जहां तक सिंचाई का सवाल है तो आए दिन यह खबरें सुनने और देखने को मिलती रहती हैं की या तो नहरों में पानी ही नहीं पहुंचा अथवा यदि त्यौंथर जैसे तराई क्षेत्रों में पहुंचा भी तो घटिया गुणवत्ताविहीन नहरों के निर्माण के बाद जगह-जगह टूटी पड़ी नहरों से पानी यत्र तत्र किसानों के खेतों को बर्बाद कर देता है।
855 करोड़ की 50 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचाई परियोजना खटाई में
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के शिकायत पर मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद अधीक्षण यंत्री बाणसागर नहर मंडल द्वारा दिनांक 9 दिसंबर 2016 को मानवाधिकार आयोग को भेजे गए अपने एक प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया था की लगभग 855 करोड रुपए की लागत से रीवा जिले की 50 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन को सिंचित करने के लिए मनगवां तहसील के 33 गांव, नईगढ़ी तहसील के 282 गांव, रायपुर कर्चुलियान तहसील के 33 गांव, गुढ़ तहसील के 30 गांव, मऊगंज तहसील के 205 गांव और त्यौंथर तहसील के 18 गांव एवं सिरमौर तहसील के 32 गांव के कृषकों की जमीन की सिंचाई इस परियोजना के माध्यम से की जाएगी। इस परियोजना का नाम माइक्रो इरिगेशन सूक्ष्म दबाव परियोजना रखा गया था जहां ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पानी पहुंचाने के लिए इस नई तकनीक के रूप में समझा जा सकता है। लेकिन जो कार्य 2017-18 में पूर्ण किए जाने का लक्ष्य था वह आज 2023 में भी पूर्ण नहीं हो पाया है या यूं कहें कि उसका मात्र बड़े मुश्किल से 20 प्रतिशत कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर सरकारी योजनाओं से किसानों और ग्रामीणों को लाभान्वित करने की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाता है। ऐसे में किसानों का यह आरोप की यह सब योजनाएं घटिया राजनीति और मात्र किसानों को वोट बैंक हेतु लुभाने तक के लिए ही तो सीमित नहीं है काफी हद तक जायज भी है।
पानी नहीं तो वोट नहीं
उपस्थित किसानों ने कहा की न यहां पर कोई विधायक सुनते हैं और न ही सांसद और विकास यात्रा के नाम पर मात्र हवा-हवाई बातें कर यहां से चले जाते हैं और जब नहर में पानी और किसानों की समस्याओं की बात की जाती है तो उसकी अनदेखी की जाती है। किसानों ने कहा कि यदि सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करती है और नहर पूर्ण किया जाकर पानी नहीं दिया जाता तो आगे और भी बड़े आंदोलन कर सकते हैं। अभी जो भी प्रदर्शन किया गया है वह मात्र क्षेत्र की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए और उन्हें कुंभकर्णी निद्रा से जगाने के लिए है।
आगे यदि कार्यवाही नही होती तो समस्त जवाबदेही शासन प्रशासन की होगी। शांतिपूर्ण ढंग से किए गए इस प्रदर्शन में किसानों ने जमीन के घटते जल स्तर और पेयजल से लेकर बिजली कटौती और सिंचाई तक की समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि अभी हाल ही में पिछले दिनों ओले की वजह से भी उनकी फसलों को नुकसान हुआ है और किसानों की कमर टूट गई है। किसानों ने बेसहारा गोवंशों के लिए भी तत्काल शासकीय गौशालायें बनाया जाकर व्यवस्थित किया जाने और उनके फसल नुकसानी की भरपाई किए जाने की भी माग की है।
इस बीच उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कहा की सरकार को तत्काल किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन और सूक्ष्म दबाव परियोजना सहित बाणसागर नहर मंडल और गंगा कछार से जुड़ी हुई समस्त परियोजनाओं को तत्काल पूरा किया जाकर किसानों को जल उपलब्ध करवाया जाए जिससे न केवल फसलों की सिंचाई हो सकेगी अपितु भूजल स्तर में भी सुधार होगा जिससे पेयजल संकट को भी लेकर जो समस्याएं प्रारंभ हो गईं हैं उनसे भी निजात मिलेगी। उन्होंने कहा की नलजल और जल-जीवन मिशन से संबंधित योजना पर व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार है जिस पर सरकार ध्यान दें और जांच कराया जाकर घर-घर पानी उपलब्ध करवाया जाए।