रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डायलिसिस सुविधा बंद: इकलौते नेफ्रोलॉजिस्ट के इस्तीफे के बाद हालात खराब, व्यवस्था बनाने में प्रबंधन नाकाम
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रीवा से तीन दिन से मायूस होकर लौट रहे मरीज और परिजन, डायलिसिस की व्यवस्था बनाने में प्रबंधन नाकाम
NABH प्रमाणित एमपी के पहले सर्वसुविधायुक्त रीवा के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डायलिसिस सुविधा लगभग बंद हो गई है। इसके चलते हर दिन मरीज मायूस होकर लौट रहे हैं। नेफ्रोलॉजी विभाग के इकलौते विशेषज्ञ डॉ. रोहन द्विवेदी के इस्तीफा देने के तीन बाद भी अस्पताल प्रबंधन कोई व्यवस्था नहीं बना सका है। आश्चर्य की बात तो यह है कि डॉ. द्विवेदी ने जब एक माह पहले ही इस्तीफे की जानकारी दे दी थी तब अस्पताल प्रबंधन ने पहले ही व्यवस्था क्यों नहीं बनाई।
प्रबंधन की इस लापरवाही का खामियाजा अब विंध्य के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। विंध्य क्षेत्र से किडनी की समस्या को लेकर बड़ी संख्या में मरीज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हर दिन आते हैं। इतने बड़े अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं होने से उनकी जांच नहीं हो पा रही है। साथ ही डायलिसिस की सुविधा भी प्रभावित हो गई है। रीवा के साथ ही आसपास के दूसरे जिलों से लोग हर दिन डायलिसिस के लिए यहां आते हैं।ं 35 से 40 लोगों का डायलिसिस किया जाता था, लेकिन अब डॉक्टर के नहीं रहने पर यह सुविधा भी बंद है।
इतना ही नहीं कडनी रोग विशेषज्ञ ही एंज्योग्राफी, एंज्योप्लास्टिी कराने वाले मरीजों की पहले जांच करते हैं। जिससे हार्ट के मरीजों को भी दिक्कत हो रही है। हालांकि, अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव लगातर यही कर रहे हैं कि अस्पताल की डायलिसिस सुविधा बंद न हो इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
डॉ रोहन एक साथ संभालते थे 3 विभाग
डॉ. रोहन द्विवेदी किडनी रोग विभाग के इकलौते चिकित्सा विशेषज्ञ थे। वे एक साथ तीन विभाग संभालते थे। इसमें आइसीयू, वार्ड के साथ डायलिसिस की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। बताया गया है कि डॉ. द्विवेदी रात में भी आकर डायलिसिस करने से कभी गुरेज नहीं करते थे। उनके चले जाने से विभाग के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है। वहीं मरीजों में भी मायूसी है।