शिक्षा विभाग का बाबू राज, कई अधिकारियों की गले का बना फास, अब 70 लाख का कर दिया वारान्यारा: REWA NEWS
रीवा। जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यालय अपने कारनामों को लेकर समय-समय पर सुर्खियों में रहा है। इसके लिये वर्षो से कुडंली मार कर बैठे कार्यालय के बाबुओं को मुख्य कारण बताया जा रहा है। उनकी कार गुजरियों का खमियाजा कई जिला शिक्षा अधिकारी भुगत चुके है। इसके बाद भी बाबू राज का तिलस्म नही टूटा। हाल ही में डीईओ कार्यालय के दो लिपिकों ने सारे हदें ही पार कर दी और लाखों रुपए का वारा न्यारा कर दिया। मामला जांच में है और इन्हें निलंबित कर दिया गया है। लिपिकों के कारनामों से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।
रीवा। जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यालय अपने कारनामों को लेकर समय-समय पर सुर्खियों में रहा है। इसके लिये वर्षो से कुडंली मार कर बैठे कार्यालय के बाबुओं को मुख्य कारण बताया जा रहा है। उनकी कार गुजरियों का खमियाजा कई जिला शिक्षा अधिकारी भुगत चुके है। इसके बाद भी बाबू राज का तिलस्म नही टूटा। हाल ही में डीईओ कार्यालय के दो लिपिकों ने सारे हदें ही पार कर दी और लाखों रुपए का वारा न्यारा कर दिया। मामला जांच में है और इन्हें निलंबित कर दिया गया है। लिपिकों के कारनामों से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।
मुश्किल में फंसे डीईओ और पूर्व जेडी
बाबू की गलतियों के कारण जिला शिक्षा अधिकारी डॉ आरएन पटेल एंव तत्कालीन जेडी अंजनी त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को तय किश्त से अधिक राशि का भुगतान कर दिया गया था। इसके अलावा इसी की मिली भगत से 70 लाख रुपए का वारा न्यारा किसी और के खाते में कर दिया गया। अब जांच चल रही है।
सामाप्त नही हुई अटैचमेंट की संस्कृति
दिलचस्प पहलू यह है कि लाखों, करोड़ों का घोटाला पकड़े जाने के बाद भी अधिकारियो की हिम्मत बाबुओं के सामने पस्त है। अधिकारियो से ज्यादा दमखम बाबुओं ने बना रखी है। हालात यही रहे और सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो डीईओ कार्यालय में इस तरह के फर्जीवाड़े होते ही रहेंगे। इस कार्यालय को कमाई का केन्द्र बना कर रखा गया है। हर कोई यहीं अटैचमेंट में रहना चाहता है। कुछ राजनीतिक दम पर अटैचमेंट में हैं तो कुछ आधिकारियो की पकड़ से जमे हैं। इन बाबुओं के आगे अधिकारियो की भी नहीं चल रही है और जमकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं
डीईओ की हो गई थी मौत
बाबुओं की कार गुजारी से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में डीईओ की जान तक जा चुकी है। तत्कालीन डीईओ बीएस परस्ते की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। जानकारी के तहत डीईओ ईएल में ही थे और बाबुओं के दबाव में वह ईएल निरस्त करा दिये। इसके चक्कर में उन्हें जान से भी हाथ गवांना पड़ा था। डीईओ कार्यालय में पदस्थ रहे एसके त्रिपाठी तत्कालीन डीईओ भी बाबुओं के कारण ही निलंबित हो गए थे।
प्रयोगशाला सेवकों को सहायक शिक्षक विज्ञान पदोन्नति में पूर्व डीईओ आरपी तिवारी फंस गए थे। इसी तरह ही बिना पद के पदोन्नति करके हर्षलाल शुला डीईओ भी फंस गए थे। यह वर्ष 2003 का मामला है। डीईओ हर्षलाल शुला 6 साल सस्पेंड रहे। कर्मचारियों की वर्ष 2010 में पदोन्नति निरस्त हुई थी। कोर्ट से स्टे में बचे हैं। प्रशासन जवाब नहीं दे पाया। जिला शिक्षा अधिकारी के बाबू राज का कारनामा यही तक नही थमा है बल्कि कई बाबूओं के कारनामों को लेकर विभाग के लोग चर्चा करने से नही थक रहे है।