रीवा में डाक के बाद गेहूं की तौल करने से व्यापारी ने मना किया, रात भर मंडी में पड़ा रहा किसान
रीवा में व्यापारियों की मनमानी का खामियाजा किसान निवासी मनगवां को भुगतना पड़ा।;
व्यापारियों की मनमानी का खामियाजा किसान निवासी मनगवां को भुगतना पड़ा। भला हो उसके क्षेत्र का जहां के नेताओं ने प्रयास किया और दूसरे दिन गेहूं के तौल सम्भव हो पाई। हुआ कुछ ऐसा था कि सोमवार को मनगवा से गेहूं लेकर आये किसान के गेहूं की डाक रीवा मंडी में हुई। 1934 रूपये क्विंटल पर गेहू खरीदने की अंतिम बोली व्यापारी राजकुमार ने लगाई। किसान ने अपनी स्वीकृति दे दी। इसके बाद मौसम खराब हो गया। बारिश भी हुई। इसमें शेषमणि का गेहूं भीग गया। अब व्यापारी उस गेहूं की तौल करवाने से मान करने लगा। जिसकी वजह से किसान ने जोर लगया और अपने क्षेत्र के नेताओं से बात की। जिसके बाद उसे दूसरे दिन तौल कराने का आश्वासन दिया गया।
जवाबदारी किसकी
किसान का गेहूं डाक किया गया। डाक का मतलब कई व्यापारी मिलकर किसान के गेहूं की बोली लगते हैं। जिसकी अंतिम और ज्यादा बोली होती है उसे किसान की सहमति के बाद व्यापारी तौल के लिए दे दिया जाता है।
किसान शेषमणि का गेहूं डाक होने के बाद खराब मौसम की वजह से भीग गया। लेकिन नाम न छापने की शर्त पर किसान ने कहा कि वह गरीब आदमी है। वह इस पचडे में नही पडना चाहता। पहले ते वह कुछ बाताने के लिए तैयार नहीं हो रहाथा लेकिन बाद में अन्य किसानों के कहने पर बताया कि गेहूं भीगने के बाद व्यापारी उससे प्रति बोरी 3 किले गेहूं मांग रहे थे। जिससे वह मना कर दिया। तब व्यापारी ने कहा कह दिया कि तुम्हारे अनाज की तौल नही होगी।
कहते तो यहां तक हैं कि व्यापारी और उसके कुछ साथी के साथ किसानों की कहा-सुनी भी हो गई। किसान गेहूं की तौल करवाने के लिए कहता रहा लेकिन तौल नही हुई। ऐसे में जब उसने अपने क्षत्र के नेताओ से सिफारिस करवाई। मामला जिले के अधिकारियो तक पहुंचा तो उसे तौल का भरोषा दिया गया।
मंडी सेड में बीती रात
किसान अनाज पैदा करने के लिए पूष और माघ में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड में रातों में जगता है। किसी तरह अपनी फसल तैयार कर लेता है उसके बाद भी मंडी में आने के बाद व्याप्त अव्यवस्था की वजह से रात सेड के नीचे बितानी पडती है। मनगवां से आये किसान के गेहूं की जब तौल सोमवार को नहीं हुई ते वह रात भर मंडी में पड़ा रहा। मच्छर उसका खून चूसते रहे और वह खून के आंसू रोता रहा।
अधिकारियों की खुली सह
व्यापारियों की इस मनमानी के पीछे मंडी के अधिकारियों की खुली सह है। अगर थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए कि व्यापारी विदेश जा रहे गेहूं की वजह से तेजी के साथ खरीदी कर रहे थे। उसका उठाव भी हो रहा था लेकिन उठाव अपनी गति से। प्रतिबंध लगे कई दिन हो गये उसके बाद भी व्यापारियों ने गेहूं रखने का कोई इंतजाम नहीं किया। यह सब अधिकारियो के सह का ही परिणाम है।
बाहर जाने वाले गेहूं पर प्रतिबंध की वजह से व्यापारी गेहूं का उठाव नहीं करवा पा रहे हैं। लेकिन आज की बैठक में कहा है कि जल्दी ही सेड से गेहूं उठा लिया जायेगा। जिस किसान के गेहूं की तौल कल नही हो पाई थी उसे आज तौला जायेगा।
नागेश्वर प्रसाद कोल, मंडी सचिव