सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन योजना पर उठाए सवाल: कहा- कब तक बांटेंगे मुफ्त की रेवड़ी? रोजगार के अवसर क्यों नहीं बनाए जाते

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मुफ्त राशन योजना पर सवाल उठाए। कोर्ट ने रोजगार सृजन की आवश्यकता पर जोर दिया और राशन वितरण के मौजूदा मॉडल पर विचार की बात कही।;

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Update: 2024-12-10 05:05 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन योजना पर उठाए सवाल: कहा- कब तक बांटेंगे मुफ्त की रेवड़ी? रोजगार के अवसर क्यों नहीं बनाए जाते
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सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब: नई दिल्ली. 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त राशन बांटने की योजना पर सवाल उठाते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा, "सरकार कब तक मुफ्त राशन बांटती रहेगी? रोजगार के नए अवसर क्यों नहीं पैदा किए जा रहे?" यह मामला राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन देने की योजना से संबंधित था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन शामिल थे, ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से इस योजना के दीर्घकालिक प्रभाव और करदाताओं पर पड़ने वाले बोझ को लेकर सवाल उठाए।

ई-श्रम पोर्टल और प्रवासी श्रमिकों की समस्या

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का केंद्र बिंदु ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों और अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड प्रदान करने का मुद्दा था। याचिकाकर्ता, एक गैर-सरकारी संगठन (NGO), ने मांग की कि इन श्रमिकों को राशन कार्ड दिए जाएं ताकि वे NFSA के तहत मिलने वाले लाभ प्राप्त कर सकें।

पुरानी जनगणना आंकड़ों पर निर्भरता पर सवाल

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि सरकार अभी भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है। यदि 2021 की जनगणना हो गई होती, तो प्रवासी श्रमिकों की वास्तविक संख्या का आकलन हो पाता।

केंद्र सरकार का रुख

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि उनकी जिम्मेदारी केवल NFSA 2013 के तहत निर्धारित पात्र व्यक्तियों तक सीमित है। केंद्र ने अदालत को बताया कि मुफ्त राशन योजना कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य उस समय के संकट से निपटना था।

अगली सुनवाई 8 जनवरी को

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करना जरूरी है ताकि योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन हो सके। अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।

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