MP News: उपभोक्ता निराकरण मामलों में पूरे देश में मध्यप्रदेश रहा अव्वल
पिछले दिनों हुई उपभोक्ता महालोक अदालत में उपभोक्ताओं से जुड़े केसों की पेंडेंसी कम करने के मामले में पूरे देश में मध्यप्रदेश का स्थान अव्वल रहा। प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक दिन में 1327 केसों का निराकरण किया गया।
MP Indore News: पिछले दिनों हुई उपभोक्ता महालोक अदालत में उपभोक्ताओं से जुड़े केसों की पेंडेंसी कम करने के मामले में पूरे देश में मध्यप्रदेश का स्थान अव्वल रहा। प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक दिन में 1327 केसों का निराकरण किया गया। इस दौरान करीब साढ़े 12 करोड़ की राशि पक्षकारों को अवॉर्ड की गई। जबकि दूसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश रहा। यहां 769 केसों का आपसी सहमति से निराकरण किया कर 10 करोड़ 29 लाख से अधिक की अवॉर्ड राशि जारी की गई।
डाटा कंपाइल करने पर सामने आई जानकारी
राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस शांतनु एस केमकर ने बताया कि महाउपभोक्ता लोक अदालत का डाटा कंपाइल करने पर उक्त जानकारी सामने आई। जिसमें केसों के डिस्पोजल मामले में केरल तीसरे नंबर व हरियाणा चौथे नंबर पर रहा। केरल में 699 केसों को डिस्पोजल किया गया जबकि राजस्थान में 687 केस निराकृत किए गए। इन दोनों प्रदेशों में निराकृत केसों से एक रुपए की भी अवॉर्ड राशि पक्षकारों को नहीं मिली। उपभोक्ताओं से जुड़े केसों की पेंडेंसी कम करने के मामले में गुजरात पांचवें नंबर पर रहा। जहां 524 केसों का निराकरण कर 8 करोड़ 34 लाख की अवॉर्ड राशि पक्षकारों को दी गई।
चार साल में कितनी घटी पेंडेंसी
मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में केवल महालोक अदालत में ही केसों का निराकरण नहीं हुआ है। बल्कि आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 से लगातार उपभोक्ता फोरम केसों की पेंडेंसी में 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 2019 में 11450 केस पेंडिंग थे जिनकी संख्या वर्ष 2020 में घटकर 11418 हो गई। फिर 2021 में भी इस केसों की पेंडेंसी में कमी आई जो घटते हुए 10770 पर पहुंच गई। 2022 में केसों की पेंडेंसी घटकर 8756 पर पहुंच गई है। जस्टिस केमकर की मानें तो 2019 से 13 जज व 46 सदस्यों की नियुक्ति की गई है। पांच सदस्य राज्या आयोग में भी नियुक्त किए गए। अध्यक्ष के चार और सदस्यों के 44 पद खाली हैं जिन्हें भरने की भी प्रक्रिया चल रही है।