भोपाल स्मार्ट सिटी के युवा CEO आईएएस आदित्य सिंह को सरकार ने हटाया, करोड़ों की भूमि चहेतों को आवंटित करने का आरोप, EoW कर रही है जांच

2014 बैच के IAS अफसर आदित्य सिंह पर भोपाल स्मार्ट सिटी CEO के पद पर रहते हुए अपने चहेतों को करोड़ों की भूमि आवंटित करने का आरोप लगा है. मामले की जांच EoW कर रहा है, इस बीच सिंह को पद से हटा दिया गया है.;

Update: 2021-08-14 10:06 GMT
Smart City Bhopal

मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल स्मार्ट सिटी (Bhopal Smart City) के CEO आईएएस आदित्य सिंह (IAS Aditya Singh) को पद से हटा दिया है. आदित्य सिंह पर करोड़ों की जमीन अपने चहेतों को आवंटित करने का आरोप लगा था. इसकी शिकायत EoW से की गई थी. EoW मामले की जांच कर रहा था. इस बीच आदित्य सिंह को पद से शासन ने हटा दिया. हांलाकि उन्हें हटाने के बाद अभी तक किसी की भी नियुक्ति नहीं की गई है. 

रीवा निवासी आदित्य सिंह 2014 बैच के IAS अफसर हैं. करीब डेढ़ साल पहले ही उन्हें भोपाल स्मार्ट सिटी के CEO का जिम्मा राज्य सरकार द्वारा सौंपा गया था. उन्हें पद से हटाकर उप सचिव बनाया गया है. उनके जगह अभी नए CEO को पदस्थ नहीं किया गया है. 

माना जा रहा है कि स्वतंत्रता दिवस के बाद ही सरकार नए सीईओ की नियुक्ति करेगी. सरकार के लिए सीईओ की जल्द ही नियुक्ति करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत भोपाल में बहुत से काम चल रहें हैं. समय पर नियुक्ति न होने से कार्य प्रभावित हो सकते हैं. फिलहाल प्रोजेक्ट के कार्य अभी नगर निगम कमिश्वर केवीएस चौधरी की देखरेख में हो रहे हैं.

क्यों हटाया गया आदित्य सिंह को 

भोपाल में स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी ने 2020-21 में टीटी नगर में तीन प्लांट की नीलामी के लिए टेंडर जारी किए गए थे. इन टेंडर में प्लाट नंबर 83 का बेस प्राइस 73.96 करोड़, प्लाट नंबर 79 का बेस प्राइस 63.80 करोड़ रुपए, प्लाट नंबर 80 का बेस प्राइस 70.75 करोड़ रुपए रखा था. इसी में धांधली के आरोप आदित्य सिंह पर लगे हैं. 

ये हैं चार आरोप, जिसकी शिकायत की गई है

  • शिकायत में आरोप है कि तीनों टेंडर में दो-दो फर्मों के भाग लेने पर पहली ही बार में उनकी निविदाएं स्वीकृत कर दी गई, जबकि नियमानुसार दोबारा टेंडर बुलाए जाने थे.
  • दूसरा आरोप यह था कि टेंडर में फर्मों की प्रतिस्पर्धा नहीं बढ़ाने से राजस्व का सरकार को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया, जिसका प्रारंभिक अनुमानित आंकड़ा करीब 35 करोड़ रुपए बताया गया है.
  • तीसरा आरोप यह था कि टेंडर की शर्तों में हेर-फेर की गई, जिससे चहेतों को फायदा पहुंचाया जा सके.
  • चौथा आरोप था कि दोनों टेंडर में भाग लेने वाली फर्में एक ही है. इसके अलावा जमीन नीलामी की शर्तें बदलने के आरोप भी लगाए गए थे.
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