एमपी का एक ऐसा गांव जहां अकाल मौत के बाद मृतक को बना देते हैं देवता, सिगरेट-शराब का लगाते हैं भोग

MP News: एमपी में एक ऐसा भी गांव है जहां यदि किसी की अकाल मृत्यु होती है तो उनकी मूर्तियां बनवाकर पूजा की जाती है। उन्हें सिगरेट और शराब का भोग भी लगाया जाता है।

Update: 2023-03-01 10:09 GMT

एमपी में एक ऐसा भी गांव है जहां यदि किसी की अकाल मृत्यु होती है तो उनकी मूर्तियां बनवाकर पूजा की जाती है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि जीवन में जो कष्ट आ रहा है उसका कारण पूर्वज की आत्मा संतुष्ट नहीं होने को मानते हैं। जो इन्हें परेशान कर रही है। जिसको शांत करने के लिए परिजनों द्वारा मूर्ति तैयार करवाई जाती है। जिसे देव मानकर स्थापित कर पूरे गांव को भोज कराया जाता है। इसके साथ ही इस मूर्ति को सिगरेट और शराब का भोग भी लगाया जाता है।

भानपुर केकड़िया गांव में गजब परम्परा

एमपी के भानपुर केकड़िया गांव में गजब की परम्परा है। यह गांव भोपाल से 25 किलोमीटर दूर सीहोर रोड पर स्थित है। यहां पर भिलाल समुदाय के लोग निवास करते हैं। तकरीबन 12सौ की आबादी वाले इस गांव में कई घरों के बाहर अलग-अलग मूर्तियां स्थापित की गई हैं जिनकी परिजनों द्वारा पूजा की जाती है। जिनकी कभी अकाल मौत हुई थी यह मूर्तियां उनकी हैं जो परिजनों द्वारा बनवाई गई हैं। जीवन में दुख क्लेश आने पर इसका कारण लोगों द्वारा परिजनों की आत्मा शांत नहीं होने को मानते हैं। ऐसे में लोगों द्वारा इन मूर्तियों की पूजा की जाती है। इनको सिगरेट, शराब के साथ बकरे की बलि भी दी जाती है। यहां लोगों द्वारा प्रतिदिन घरों में जो भोजन बनाया जाता है बकायदे उसका मूर्ति के सामने भोग भी लगाया जाता है।

पढ़े-लिखे हैं लोग किंतु परंपरा से समझौता नहीं

यदि किसी पुरुष की भानपुर केकड़िया गांव में अकाल मौत होती है तो उसकी प्रतिमा को गाता कहते हैं। जबकि महिला की अकाल मौत होने पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा को सती कहा जाता है। गांव में मिडिल स्कूल भी स्थापित है। यहां के अधिकांश लोग पढ़े-लिखे भी हैं किंतु परंपरा से समझौता नहीं करते। परंपरा को वह हर हाल में निभाते हैं। हायर सेकेड्री की पढ़ाई के लिए गांव से पांच किलोमीटर दूर रातीबड़ जाना पड़ता है। यहां के अधिकांश लड़के और लड़कियां भी पढ़ी लिखी हैं जो शहर में बीए और बीएससी की पढ़ाई कर रहे हैं। गांव से दो किलोमीटर पहले चेतावनी बोर्ड भी लगाया गया है कि गलत मंशा से आने वाले बाहरी लोगों का यहां प्रवेश करना मना है। अपने कल्चर को लेकर गांव के लोग किसी बाहरी दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं करते।

धार से ग्रामीण बनवाते हैं परिजनों की मूर्ति

भानपुर केकड़िया गांव के ग्रामीणों के मुताबिक अकाल मौत होने पर परिजनों द्वारा धर से मूर्ति बनवाई जाती है। यहां पर एक मूर्ति की लगभग 45 हजार लागत आती है। जिसमें मूर्ति की कीमत 25 से 30 हजार रुपए रहती है जबकि 15 हजार रुपए उसे ले जाने में भाड़ा लग जाता है। यह मूर्ति पत्थर पर उकेरी जाती है बाद में उस पर पेंट किया जाता है। जिसकी मूर्ति बनवाई जाती है उसका नाम भी उसमें लिखा रहता है। इसमें आदिवासियों के परंपरागत निशान शस्त्र, घोड़ा, एक महिला की तस्वीर और सूरज चंद्रमा भी उकेरा जाता है।

इनका कहना है

इस संबंध में भानपुर केकड़िया गांव के उप सरपंच मदन का कहना है कि यहां अकाल मृत्यु पर संबंधित का अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर नहीं किया जाता। शव को निजी जगह या खेत पर जलाया जाता है। कई लोगों द्वारा तेरहवीं के दिन ही प्रतिमा स्थापित करवा दी जाती है जबकि कुछ लोग इसे बाद में भी स्थापित करवाते हैं। प्रतिमा स्थापना के समय बकरे की बलि देने के साथ ही समाज के लोगों को भोज भी करवाना पड़ता है।

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