एमपी में महापौर और नापा अध्यक्ष चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने, एक बार फिर राज भवन पहुंची फाइल
MP Chunav News: एक ओर जहां प्रदेश में नगरी निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है।
MP Chunav News: एक ओर जहां प्रदेश में नगरी निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है। इसी बीच महापौर और नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने की मंशा से प्रदेश सरकार ने एक बार फिर फाइल भवन भेज दी है। क्योंकि इसके पहले भी इस आशय की फाइल राजभवन भेजी गई थी। जिसे बाद में वापस बुला लिया गया था।
बैठक में लिया गया निर्णय
जानकारी के अनुसार अध्यादेश की फाइल भेजने को लेकर भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की उपस्थिति में हुई बैठक के बाद निर्णय लिया गया। जिसमें तय किया गया कि महापौर और नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के बजाय सीधे जनता से करवाया जाए। जैसा कि पूर्व में करवाया जाता था। बैठक में इस निर्णय के बाद अध्यादेश की फाइल एक बार फिर राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजी गई है।
भाजपा में दो मत
महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने के लिए भाजपा में दो मत हैं। जानकारी के अनुसार विधायक और सांसद चाहते हैं कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हो। जिससे आने वाले समय में और शहर के विकास में लिए जाने वाले निर्णयों में दबदबा कायम रहे। भाजपा के कुछ कार्यकर्ता, महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके प्रत्याशी प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव करवाना चाह रहे हैं।
नफा नुकसान की चिंता
स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ने वाले महापौर पद के प्रत्याशी और अध्यक्ष सभी चाहते हैं कि अप्रत्यक्ष चुनाव हो। क्योंकि प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने पर पार्षदों ज्यादा मशक्कत करनी पडे़ेगी। इसके बजाय अगर महापौर और अध्यक्ष के प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं तो उन्हें केवल अपने ऊपर ही विशेष ध्यान देना होता है।
देखा गया है कि प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने पर महापौर और अध्यक्ष पद के प्रत्याशी पार्षदों के लिए सपोर्ट अवश्य करते हैं लेकिन पूरा फोकस अपनी तैयारी में रहता है। वही इस बात की चिंता भी सता रही है कि अप्रत्यक्ष चुनाव होने की दशा में पार्षद पद के प्रत्याशी की वार्ड क्षेत्र में उनकी अपनी पकड़ महत्वपूर्ण होती है।
प्रदेश सरकार शहर और नगर में अपने प्रत्याशी जिताने के लिए भरसक प्रयास करते हैं। शहरों में बड़े नेताओं की रैलियां भी होती हैं। जिसका असर महापौर पद के प्रत्याशी पर पड़ता है लेकिन वह पार्षदों के लिए वार्डों के उतना प्रभावित नही कर पात।
वही प्रदेश में बैठी सरकार का हर हाल में प्रदेश की सरकार शहर सरकार पर नियंत्रण करने के लिए अपने महापौर और अध्यक्ष चाहती है।