Teachers Transfer Policy: टीचर्स ट्रांसफर पॉलिसी को कैबिनेट ने दी सैद्धांतिक सहमति, जानें क्या होंगे इससे फायदे

Teachers Transfer Policy: एमपी सरकार ला रही स्कूल टीचर्स के लिए नई ट्रांसफर पॉलिसी .

Update: 2022-08-02 12:57 GMT

OSSC Teacher Recruitment 2022

MP Latest News: टीचर्स ट्रांसफर पॉलिसी (Teachers Transfer Policy) को कैबिनेट ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इसके लागू हो जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्कूलों में शिक्षकों की कमी तो दूर होगी। इस पॉलिसी के तहत प्रशासनिक के साथ ही स्वैच्छिक ट्रांसर्फर भी हो सकेगें। इतना ही नही शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाई के लिए विशेष ध्यान देना होगा, यानि की अब दूसरे विभागों में अटैच होने वाली व्यवस्था पर भी लगाम लगाई जाएगी।

सीएम ने दिए यह निर्देश

दरअसल यह पहली बार है जब एमपी सरकार (MP Government) सरकारी स्कूल टीचर्स (Government School Teachers) के लिए स्थाई ट्रांसफर पॉलिसी (Transfer Policy) लागू कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने कैबिनेट बैठक में कहा है कि स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार एक बार इस पॉलिसी के बिंदुओं का परीक्षण कर लें। फिर इसे लागू किया जाए। वहीं जो जानकारी सामने आ रही है उसके तहत शिक्षकों के अलावा अन्य कर्मचारियों पर भी ट्रांसफर में यह पॉलिसी लागू होगी।

शिक्षकों को करना होगा आवेदन

स्कूल टीचर्स के स्थाई ट्रांसफर पॉलिसी में यह व्यवस्था रखी गई है कि शिक्षकों को पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिसके बाद उन्हे ट्रांसफर का लाभ मिल पाएगा। इस पॉलिसी के तहत जहाँ टीचर व अन्य संवर्ग के ट्रांसफर हर साल 15 मई तक किए जाएंगे। वहीं ट्राइबल एरिया में प्रशासकीय आधार पर पदस्थ टीचर्स को प्रोत्साहन भत्ता मिलेगा।

इस तरह की पॉलिसी

जिस टीचर्स ट्रांसफर पॉलिसी को कैबिनेट ने सैद्धांतिक सहमति दी उसके सम्बंध सरकार के प्रवक्ता व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि इस पॉलिसी के तहत दूसरे जिले या संभाग के टीचर को प्रमोशन के पद पर पदस्थ नहीं किया जा सकेगा। पहले प्राथमिकता के आधार पर प्रशासनिक और फिर स्वैच्छिक ट्रांसफर होंगे। गंभीर शिकायतों, प्रतिनियुक्ति से वापसी, कोर्ट निर्णय के पालन और स्कूलों में खाली पद भरने के लिए प्रशासनिक स्तर पर ट्रांसफर किया जाएगा।

दूसरे विभागों में नहीं लगेगी ड्यूटी 

उन्होने बताया कि अब जो नई नीति बनाई गई है उसमें दूसरे विभागों में टीचर को प्रतिनियुक्ति पर विशेष परिस्थिति में ही भेजा जाएगा। टीचर व प्रिंसिपल को जनप्रतिनिधियों की निजी स्थापना में पदस्थ नहीं किया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्र में देनी होगी सेवाएं

ग्रामीण क्षेत्रो की स्कूलों को अच्छा बनाने के लिए इस पॉलिसी मे यह भी प्रावधान रखा गया है कि नए टीचर को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में तीन साल या परिवीक्षा अवधि पूरी करनी होगी। इतना ही नही इन टीचर्स को पूरी सर्विस में 10 साल ग्रामीण क्षेत्रों में रहना होगा। उन्हें इसका वचन पत्र देना होगा।

शहर के टीचर भेजे जायेंगे गांव

दरअसल नौकरी करने वाले लोग ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में ही अपनी ड्यूटी करना चाहते है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलें शिक्षक विहीन हो रही है। इसे देखते हुए सरकार ने नई पॉलिसी में यह भी प्रावधान रख रही है कि शहरी क्षेत्रो में 10 साल तक पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा।

इतना ही नही अध्यापक संवर्ग से आए शिक्षकों को भी ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में 5 से 10 साल सेवा देनी होगी, जबकि तीन साल में सेवानिवृत्त होने वाले गंभीर बीमार या विकलांग और एक साल से कम की सेवा व 40 प्रतिशत या उससे अधिक निःशक्तता होने पर तबादला नहीं किया जाएगा।

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