एमपी का VVIP पेड़, 24 घंटे सुरक्षा में तैनात रहते हैं गार्ड, रखरखाव में हर साल ₹1500000 का खर्च

मध्यप्रदेश में विश्व स्तर का एक ऐसा पेड़ पाया जाता है जिसकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है।

Update: 2023-08-02 06:06 GMT

मध्यप्रदेश में विश्व स्तर का एक ऐसा पेड़ पाया जाता है जिसकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है। हम इसे यह भी कह सकते हैं कि इस पेड़ को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है। निश्चित तौर पर यह सुनने के बाद आपके मन में भी कई तरह के प्रश्न उठ रहे होंगे। आखिर किस पेड़ में क्या खासियत है। आखिर किस काम में आता है सरकार इस पर क्यों इतना पैसा खर्च कर रही है। अगर यह सवाल आपके मन में है तो आज इन सब के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

कौन सा है यह पौधा

हम बात कर रहे हैं बोधि वृक्ष के बारे में। बोधि वृक्ष का नाम शायद आपने सुना हो। कहा जाता है कि इस बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी। साथ ही इस वृक्ष के बारे में और भी कई बातें कहीं जाती हैं। कहा गया है कि इस वृक्ष में अलौकिक षक्ति होती है। भगवान बुद्ध को यहां से ज्ञान प्राप्त हुआ था। बोधि गया का वृक्ष आमतौर पर हर जगह नहीं पाया जाता। बताते हैं कि सम्राट अशोक ने अपने बेटे और बेटी को बोधि वृक्ष की डाली देकर श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए भेजा था। वहां पर सम्राट अशोक के बेटे बेटी ने इस पौधे को लगा दिया था। आज वह विशालकाय वृक्ष के रूप में श्रीलंका में मौजूद है।

मध्यप्रदेश में मौजूद है बोधी का वृक्ष

मध्य प्रदेश के भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर नामक पहाड़ी में बोधि वृक्ष लगा हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार इस बोधि वृक्ष की देखरेख में हर वर्ष लाखों रुपए खर्च कर रही है। बताया जाता है कि इस बोधि वृक्ष को वर्ष 2012 में भारत दौरे पर आए श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने लगाया था। तब से यह बोधि वृक्ष का पौधा लहलहा रहा है।

क्या है सुरक्षा के इंतजाम

मध्य प्रदेश सरकार बोधि वृक्ष की सुरक्षा में करीब 12 से 15 लाख रुपए खर्च करती है। 100 एकड़ की पहाड़ी क्षेत्र में बोधिवृक्षा का यह पौधा 15 फीट की ऊंचाई वाली जाली से घिरा हुआ है। यहां पर सरकार निगरानी के लिए लगातार चार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी 24 घंटे लगी रहती है। इतना ही नहीं पुलिस की ड्यूटी तो मात्र सुरक्षा के लिए है जिससे कोई भी व्यक्ति से क्षति न पहुंचा सके।

वहीं जानकारी के अनुसार बोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए कृषि विभाग का मामला लगा हुआ है। समय-समय पर कृषि एवं वन विभाग के आला अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक वृक्ष की जांच पड़ताल करते रहते हैं। अगर किसी भी तरह की छति समझ में आती है तो फौरन ही उसका ट्रीटमेंट किया जाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर इस बोधि वृक्ष के एक पत्ते को भी किसी तरह की क्षति होती है तो पूरा प्रशासन टेंशन में आ जाता है।

बिहार के बोधगया में लगा है मुख्य पौधा

बताया जाता है कि बोधि वृक्ष का मुख्य पौधा बिहार के गया में लगा हुआ है। लेकिन इस वृक्ष के बारे में कहा जाता है कि इसे कई बार नष्ट किया गया। लेकिन यह वृक्ष चमत्कारी रूप से अपने आप उग आता है। ऐतिहासिक जानकारों का कहना बोधि वृक्ष को नष्ट करने का पहला प्रयास तीसरी शताब्दी में किया गया। सम्राट अशोक की एक रानी ने इस बौद्ध वृक्ष को कटवा दिया था। लेकिन उसके बाद कुछ ही वर्षों में वहां पर एक नया पेड़ उग आया।

वहीं दूसरी बार बोधि वृक्ष को नष्ट करने का कार्य सातवीं शताब्दी में बंगाल के राजा शशांक द्वारा किया गया। कहते हैं कि राजा शशांक बौद्ध धर्म का कट्टर दुश्मन था। उसने इस पेड़ को कटवा कर उसमें आग लगवा दी थी। लेकिन कई वर्ष बाद उन्हीं जडों के बीच से एक नया पौधा निकल आया था।

कहते हैं कि तीसरी बार बोधि वृक्ष 1876 में प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हो गया था। जिसके बाद एक अंग्रेज लार्ड कनिंघम 80 में श्रीलंका के अनुराधा पुरम से बोधि वृक्ष की एक शाखा मंगवा कर लगवा दी और वहां आज बड़े वृक्ष के रूप में मौजूद है।

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