एमपी में स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसलाः आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए
MP News: मध्यप्रदेश के खंडवा में एक आरोपी को स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। चार साल की मासूस के साथ दुष्कर्म और हत्या के प्रयास मामले में यह फैसला सुनाया गया।
मध्यप्रदेश के खंडवा में एक आरोपी को स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। चार साल की मासूस के साथ दुष्कर्म और हत्या के प्रयास मामले में यह फैसला सुनाया गया। मासूम के साथ हुए रेप के इस केस में 6 महीने के भीतर अनुसंधान पूरा कर कार्य दिवस के 4 महीने 23 दिन में कोर्ट में 36 गवाहों के बयान कराना किसी चुनौती से कम नहीं था। आरोपी को कठोर सजा मिले इसके लिए इन्वेस्टिगेशन कर रहे सब इंस्पेक्टर सुभाष नावड़े ने कई रातें थाने में ही गुजारीं। कोर्ट में आरोपी का कबूलनामा और फॉरेंसिक जांच में डीएनए रिपोर्ट भी फांसी की सजा का आधार बनी
आरोपी को फांसी की सजा
4 वर्षीय मासूस के साथ दुष्कर्म और हत्या के प्रयास मामले में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कहा कि आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए। विशेष न्यायाधीश प्राची पटेल ने टिप्पणी में कहा कि पीड़ित बच्ची की अदम्य इच्छाशक्ति व जीजीविषा के कारण ही वह जीवित रही वरना आरोपी ने पीड़िता की हत्या करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। इसलिए सिर्फ आजीवन कारावास या दंडादेश र्प्याप्त नहीं हो सकता है। मृत्युदंड ही जरूरी है।
क्या है मामला
इस संबंध में डीपीओ हुक्मलवार ने बताया कि टिठिया जोशी इलाके के एक खेत में मजदूर परिवार रहता था। इनके घर के समीप ही एक ढाबा भी है जिसमें आरोपी राजकुमार काम करता था। घटना 30-31 अक्टूबर 2022 की दरमियानी रात की है। मजदूर परिवार की चार वर्षीय मासूम झोपड़ी में सो रही थी। मौके पर आरोपी राजकुमार पहुंचा जिसके द्वारा मुंह दबाकर बच्ची का अपहरण किया गया। इसके बाद घर से 100 मीटर दूर ले जाकर गन्ने के खेत में दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। फिर गला दबाकर उसे मारने का प्रयास किया। इस दौरान बच्ची बेहोश हो गई तो आरोपी उसे मृत समझकर झाड़ियों में फेंक दिया। सुबह जब मजदूर परिवार की नींद खुली तो बच्ची गायब मिली। इस दौरान पुलिस उसे तलाशती रही। परिजनों को राजकुमार पर शक था। पुलिस ने जब आरोपी को पकड़कर सख्ती दिखाई तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। 14 घंटे बाद अर्धनग्न हालत में झाड़ियों के पीछे से बच्ची को बरामद कर लिया गया। बच्ची खून से लथपथ थी इस दौरान उसकी सांसें चल रही थीं। जिसको उपचार के लिए इंदौर अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब जाकर उसकी जान बच सकी।
कोर्ट में आरोपी सिद्ध हुआ दोषी
इस संबंध में जांचकर्ता चौकी प्रभारी सुभाष नावड़े के मुताबिक कुल 44 लोगों की गवाही इस केस में हुई। जिसमें पुलिस के 12 परिवार व जनता से जुड़े 15 लोग, 4 डॉक्टर शामिल हैं। मामले में 36 गवाहों ने कटघरे में खड़ा होकर अपना बयान दिया। इसके साथ ही आरोपी ने जुर्म कबूल किया। जिसकी निशानदेही पर बच्ची को झाड़ियों से बरामद करने के साथ ही आरोपी की चप्पल घटनास्थल पर मिली। बच्ची के खून से सने कपड़े ढाबे के समीप थैले में छिपाए थे। खून के धब्बों का सैंपल लिया तो उसकी डीएनए रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। गवाहों से लेकर फॉरेंसिक जांच इस केस का मुख्य आधार बने। जिसके आधार पर कोर्ट में आरोपी दोषी सिद्ध हुआ। आरोपी को फांसी की सजा दिलवाने में तत्कालीन एसपी विवेक सिंह, सीएसपी पूनमचंद्र यादव के साथ रामनगर चौकी प्रभारी सुभाष नावडे़, महिला थाना प्रभारी सुलोचना गहलोत की टीम ने कड़ी मेहनत की। बच्ची के कपड़े और घटनास्थल पर सीमेन मिला था। फॉरेंसिक जांच में साबित हुआ कि यह आरोपी का था।
आरोपी के चेहरे पर नहीं दिखा कोई भाव
न्यायाधीश ने आरोपी राजकुमार को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत मृत्युदंड और धारा 363, 450, 201 भारतीय दंड विधान में सात-सात वर्ष के कठोर कारावास व 307 भारतीय दंड विधान में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आरोपी पर आठ हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है। सजा सुनने के बाद भी आरोपी राजकुमार के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखा। सुनवाई के दौरान भी वह कोर्ट रूम के भीतर कटघरे में गर्दन झुकाकर खड़ा था।