एमपी के देवास में जैन संत बने प्रांशुक, अमेरिका के सवा करोड़ का पैकेज छोड़ ली दीक्षा
देवास के प्रांशुक कांठेड़ अमेरिका की कंपनी में सवा करोड़ के पैकेज पर डेटा साइंटिस्ट थे। अचानक उनका सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया।
देवास के प्रांशुक कांठेड़ अमेरिका की कंपनी में सवा करोड़ के पैकेज पर डेटा साइंटिस्ट थे। अचानक उनका सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया। जिसके कारण वह डेढ़ साल पूर्व नौकरी छोड़कर देवास वापस आ गए। प्रांशुक ने सोमवार को जैन संत बनने के लिए दीक्षा ली। अब वह संयम की राह पर चलेंगे।
तीन लोगों ने ली दीक्षा
हाटपीपल्या मंडी प्रांगण में आज सुबह उमेश मुनिजी के शिष्य जिनेंद्र मुनिजी द्वारा संत बनने की दीक्षा दी गई। जिसमें प्रांशुक के साथ उनके मामा के बेटे एमबीए पास थांदला के रहने वाले मुमुक्षु प्रियांश लोढ़ा और रतलाम के मुमुक्षु पवन कासवां दीक्षित ने दीक्षा ग्रहण की। इस अयोजना में देश भर से कई जगह से लोग उपस्थित हुए। तकरीबन 4 हजार लोगों की मौजूदगी में आयोजन संपन्न करवाया गया। प्रक्रिया के दौरान दीक्षा समारोह में सूत्र वाचन के साथ पारंपरिक प्रक्रियाएं हुईं। प्रक्रिया तकरीबन तीन घंटे चली। उसके बाद दीक्षार्थियों को दीक्षा के वस्त्र धारण करवाए गए। प्रांशुक की मनें तो गुरु भगवंतों के प्रवचन आदि सुनकर मैंने संसार की वास्तविकता को जाना-पहचाना। संसार का जो सुख है वह क्षणिक है वह कभी भी में तृप्त नहीं कर पाता।
डेढ़ वर्ष पूर्व छोड़ दी थी नौकरी
प्रांशुक ने इंदौर के के जीएसआईटीएस कॉलेज से बीई किया है। आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका चला गया। एमएस करने के बाद उन्होंने अमेरिका में ही वर्ष 2017 में डेटा साइंटिस की नौकरी ज्वाइन कर ली। इस दौरान उनके द्वारा गुरु भगवंतों की किताबों की पढ़ाई भी की जाती थी। इंटरनेट के माध्यम से वह प्रवचन भी सुनते थे। बताया गया है कि प्रांशुक वर्ष 2021 में एक बार फिर से वैराग्य धारण करने का संकल्प लेकर अमेरिका की नौकरी छोड़ दी और भारत वापस आ गया। इसके बाद वह गुरु भगवंतों के सानिध्य में रहने लगा। इस मार्ग के योग्य मानने पर गुरुदेव द्वारा प्रांशुक के माता-पिता से वैराग्य धारण करने की बात कही। जिस पर उनके माता-पिता ने एक लिखित अनुमति गुरुदेव जिनेंद्र मुनिजी को दे दी गई।