एमपी में अब अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्त नहीं कर पाएंगे प्राचार्य

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अतिथि विद्वानों की सेवाएं अब सीधे प्राचार्य समाप्त नहीं कर पाएंगे।

Update: 2022-05-08 09:18 GMT

मध्य प्रदेश में अतिथि विद्वानों की सेवाएं अब सीधे प्राचार्य समाप्त नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव शैलेन्द्र सिंह द्वारा गाइडलाइन जारी कर प्रदेश के अतिरिक्त संचालकों को कहा गया है। कॉलेजों में रिक्त पदों के विरूद्ध सेवाएं दे रहे अतिथि विद्वानां के महीने में कई दिन तक अनुपस्थित रहने पर प्राचार्य उनकी सेवाएं सीधे समाप्त नहीं कर पाएंगे। उन्हें इसके लिए सुनवाई का पर्याप्त अवसर देना होगा। यह बातें अपर मुख्य सचिव ने अपने आदेश में कही है।

जारी गाइडलाइन के अनुसार अतिथि विद्वानों को पहले नोटिस जारी की जाएगी। उनकी तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कार्यमुक्त करने की चेतावनी जारी की जाएगी। इसके बाद भी एक माह तक सुधार नहीं होने पर उन्हें कार्यमुक्त करते हुए पोर्टल पर जानकारी दर्ज की जाएगी। अतिथि विद्वान महासंघ के मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पाण्डेय ने कहा कि विभाग के इस आदेश से अतिथि विद्वानों के खिलाफ तानाशाही रवैया अख्तियार करने वाले प्राचार्यों पर अंकुश लगेगा। इस आदेश से अतिथि विद्वानों को राहत मिलेगी।

हर कॉलेज की रीढ़ है अतिथि विद्वान

प्रदेश के हर शासकीय कॉलेज में अतिथि विद्वान अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्षों से महाविद्यालयों में नियमित प्राध्यापकों की नियुक्ति न होने के कारण कॉलेजों के पठन-पाठन की पूरी जिम्मेदारी अतिथि विद्वानों के कंधो पर आ गई है। वर्षों से अतिथि विद्वान महाविद्यालयों में पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। इसके बाद भी कई बार ऐसा देखने में आया है कि प्राचार्य अतिथि विद्वानों पर अनावश्यक दबाव बनाते हुए उन्हें निकाल देते हैं या निकालने की धमकी देते हैं। इस आदेश के बाद अतिथि विद्वानों ने राहत की सांस ली है। अगर यह कहा जाय कि महाविद्यालयों की रीढ़ अतिथि विद्वान ही हैं तो अतिशयोक्ति न होगा। गौरतलब है कि महाविद्यालयों में जो नियमित प्राध्यापकों में से अधिकत जहां सेवानिवृत्त हो गए हैं वहीं अधिकतर सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं।

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