एमपी में नई शिक्षा नीति को एक साल पूरा, नए विषय शुरू-लेकिन फेकल्टी नहीं
मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति को लागू हुए करीब एक साल हो गया। इसके बाद भी कॉलेजो में लंबे समय से चली आ रही फेकल्टी की कमी पूरी नहीं हो सकी है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को लागू हुए करीब एक साल हो गया। इसके बाद भी कॉलेजो में लंबे समय से चली आ रही फेकल्टी की कमी पूरी नहीं हो सकी है। इस वजह से नए कोर्स शुरू होने के बावजूद छात्रों को फेकल्टी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। मुख्य विषयों में हर करीब 60 फीसदी शिक्षक कम है।
सबसे ज्यादा दिक्कत वोकेशनल कोर्स को लेकर है। योग जैसे कोर्स के लिए शिक्षक ही नहीं है। स्पोर्ट्स टीचर को यह काम सौंपा गया है। पिछले सत्र में करीब पौने पांच लाख छात्रों ने योग लिया था। लेकिन इसके शिक्षक नहीं मिले। पूरा सत्र ऐसे ही गुजर गया। अब जुलाई से प्रारंभ हो रहे नए सत्र में भी यही समस्या होगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में प्राचार्य के 5 सौ से ज्यादा पद खाली है। फेकल्टी न होने की दशा में सीनियर प्रोफेसर को प्रभार दिया गया है। ऐसे में वे भी क्लास नहीं ले पाते। ऐसे में एक फेकल्टी और कम हो जाती है।
रिसर्च वर्क प्रभावित
फेकल्टी कम होने की वजह से टीचिंग का काम अतिथि विद्वानों के भरोसे है। विशेषज्ञों की माने तो इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसे रिसर्च वर्क प्रभावित होता है। अतिथि शिक्षकां को प्रोजेक्ट नहीं मिल पाते। ऐसे में क्वालिटी ऑफ एजुकेशन प्रभावित होती है। कम्प्यूटर साइंस में तो स्वीकृत पदों पर एक भी शिक्षक नहीं है।
यूजी कॉलेज में प्राचार्य के 96 प्रतिशत पद रिक्त
प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के यूजी कॉलेजों में 96 प्रतिशत प्राचार्यां के पद रिक्त है। जबकि पीजी में यह आंकड़ा 85 प्रतिशत है। उच्च विभाग के अधिकारियों की माने तो अब भी करीब 31 सौ प्रोफेसर्स कम है। पीजी के प्राचार्य के 98 पद स्वीकृत है। इस पर केवल 15 ही भरे हैं। 83 खाली है। यूजी कॉलेज में प्राचार्य के 418 पद स्वीकृत है। इनमें से 16 भरे हैं। 402 खाली है।