एमपी में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टरों की लापरवाही, डिलीवरी के बाद महिला के प्राइवेट पार्ट में छोड़ दिया कॉटन-बैंडेज
MP News: मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल है। भोपाल के कोलार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का मामला प्रकाश में आया है। जिसमें प्रसव कराने के बाद महिला के प्राइवेट पार्ट में डॉक्टरों ने कॉटन-बैंडेज छोड़ दिया।
मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल है। भोपाल के कोलार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का मामला प्रकाश में आया है। जिसमें प्रसव कराने के बाद महिला के प्राइवेट पार्ट में डॉक्टरों ने कॉटन-बैंडेज छोड़ दिया। इसका पता तब चला जब महिला को तीन दिन बाद परेशानी हुई। जिसके बाद परिजनों ने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कर इसे बाहर निकलवाया।
प्रसूता की जान पर बन आई
एमपी भोपाल के कोलार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर और स्टाफ के कारण एक प्रसूता की जान पर बन आई। परिजनों ने आरोप लगाया कि यहां पदस्थ डॉ. आभा शुक्ला ड्यूटी खत्म होने का हवाला देकर दर्द से कराहती गर्भवती को छोड़कर चलती बनीं। वहां मौजूद स्टाफ ने मरीज की डिलीवरी कराने के लिए प्राइवेट पार्ट में चीरा लगा दिया और कॉटन बैंडेज प्राइवेट पार्ट में छोड़कर टांके लगा दिए। परिजनों को इसकी जानकारी तब हुई जब पीड़िता को परेशानी हुई। तब प्राइवेट अस्पताल में इसे निकलवाया गया। मामले की लिखित शिकायत सीएचसी प्रभारी डॉ. रश्मि वर्मा से की गई है।
प्राइवेट अस्पताल में बाहर निकाला कॉटन-बैंडेज
बताया गया है कि 17 मई की दोपहर तकरीबन 1 बजे देवेन्द्र सिंह अपनी पत्नी शिखा को लेकर कोलार सीएचसी पहुंचे थे। यहां उन्होंने डॉ. आभा शुक्ला को दिखाया, जिनके द्वारा कहा गया कि अभी डिलीवरी में समय लगेगा। जिसके बाद शिखा को जनरल वार्ड में भर्ती कर दिया गया। कुछ देर डिलीवरी के प्रयास किए गए और डॉ. आभा वहां से चली गईं। इस दौरान महिला के पति देवेन्द्र से उन्होंने कहा कि उनको कुछ खिला दो। जिसके कारण वह खाना लेने चले गए। इसी दौरा शिखा को तेज दर्द हुआ और जनरल वार्ड में ही डिलीवरी हो गई। इस दौरान जनरल वार्ड में दूसरे मरीजों के साथ उनके अटेंडर भी मौजूद थे। सीएचसी प्रभारी डॉ. रश्मि वर्मा से की गई शिकायत में देवेन्द्र ने लिखा है कि 17 मई को डिलीवरी के बाद 19 मई को छुट्टी कर दी गई। पीड़िता को 21 मई को पेशाब आना बंद हो गया। प्राइवेट अस्पताल ले गए तब वहां पेशाब निकाल दिया गया। दूसरे दिन फिर परेशानी हुई तब उनको कोलार सीएचसी ले गए किंतु स्टाफ द्वारा कहा गया कि डॉक्टर नहीं हैं। जिसके बाद पुनः प्राइवेट अस्पताल पीड़िता को ले गए। जहां डॉक्टरों ने अंदर से कॉटन-बैंडेज निकाला। देवेन्द्र ने यह भी आरोप लगाया कि डॉ. आभा द्वारा उनसे कहा गया कि मेरी ड्यूटी खत्म हो गई है इनको जेके अस्पताल ले जाओ। जिस पर उन्होंने कहा कि 9 महीने से आपको दिखा रहे हैं अब जेके क्यों ले जाएं। जिसके बाद डॉ. आभा ने नर्स से डिलीवरी कराने के लिए कहा और वहां से चली गईं।
इनका कहना है
इस संबंध में कोलार सीएचसी की प्रभारी डॉ. रश्मि वर्मा का कहना है कि अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर्स की कमी है। ड्यूटी के अलावा हम लोगों की ऑन कॉल ड्यूटी भी रहती है। शिखा के केस में परिजन छुट्टी जल्द करने के लिए दबाव बना रहे थे, हो सकता है कि इस वजह से प्राइवेट पार्ट में कॉटन-बैंडेज छूट गया हो। वहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आभा शुक्ला का कहना है कि मरीज जब मेरे पाई थीं तो उनको अटेंड किया था। लापरवाही नहीं की गई। ड्यूटी से जाते समय मरीज को देखकर और दवा लिखकर वहां से गई थी। मेरे जाने के बाद भी ड्यूटी पर डॉक्टर मौजूद थीं। उनकी डिलीवरी इमरजेंसी में करनी पड़ी थी।