MP : स्कूल खुलने से पहले ही फीस पर बवाल शुरू, सरकार, स्कूल प्रबंधन, हाईकोर्ट और अभिभावक का अपना-अपना तर्क
एक ओर सरकार स्कूल खोलने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि 1 या फिर 15 सितम्बर से 6वी से लेकर 12वीं तक के स्कूलों के 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोला जा सकता है।
MP NEWS : एक ओर सरकार स्कूल खोलने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि 1 या फिर 15 सितम्बर से 6वी से लेकर 12वीं तक के स्कूलों के 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोला जा सकता है। लेकिन स्कूल खुलने के साथ ही फीस को लेकर बवाल पुनः शुरू हो गया है। स्कूल प्रबंधन पूरी फीस की बात कर रहा है। तो वहीं छात्रो के अभिभावकों का अपना तर्क है। वही हाईकोर्ट के निर्देश से स्कूल संचालक संतुष्ट नहीं है। इसी बीच सरकार ने मौन धारण कर लिया है। सबके अपने-अपने तर्क हैं।
क्या कहते हैं अभिभावक
अभिभावाकों का कहना है कि निजी स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं। जब से कोरोना का संकट आया है। स्कूल बंद हुए हैं। संचालक ऑनलाइन की सुविधा दे रहे हैं । फिर छात्र के पास मोबाइल है या नही, वह ऑनलाइन क्लास ज्वाइन कर रहा है या नही इससे मतलब नही है। स्कूल संचालक पूरी फीस की मांग कर रहे हैं। मामला उलझ गया फीस की स्थिति स्पष्ट न होने से अभिभावाकों ने फीस देना ही बंद कर दिया। दिया भी आधा-अधूरा।
स्कूल संचालक परेशान
वहीं फीस के मामले में स्कूल संचालकों को अपना तर्क है। उनका कहना है कि अगर फीस नही आयेगी तो स्कूलों का संचालन नहीं किया जा सकता। आनलाइन स्कूल संचालन के लिए भी कर्मचारियों के वेतन देने से लेकर कई काम है जिसके लिए पैसे की आवश्यकता है। स्कूल संचालकों का कहना है कि वह पूरी फीस लेंगे। केवल ट्यूसन फीस से काम नही चल रहा है।
सरकार ने कहा
स्कूल और अभिभावक दोनों सरकार के पास अपनी-अपनी बात लेकर पहुंच रहे है। सरकार ने भी हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करने के निर्देश दिये। स्कूल संचालाकों को केवल ट्यूशन फीस लेने के लिए कहा। वही यह भी कहा कि फीस के लिए अभिभावाकों पर दबाव न बनाया जाय।
हईकोर्ट में लगी जनहित याचिका
स्कूलों और अभिभावकों के बीच बढ़ते विवाद पर कई अभिभावक हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दिये हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि अभिभावक ट्यूसन फीस स्कूल को दें। वहीं यह व्यवस्था भी दी गई कि इसके लिए स्कूल संचालक दबाव नहीं बनाएंगें।