MP Panchayat Chunav 2022: ओबीसी आरक्षण पर 10 मई को आएगा फैसला, सरकार ने 35% आरक्षण की करी सिफारिस

MP Panchayat Chunav 2022: मप्र में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फेसला 10 मई को आएगा।

Update: 2022-05-07 08:31 GMT

MP Panchayat Chunav 2022: मप्र में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 10 मई को आएगा। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में रखी। इस रिपोर्ट मप्र में ओबीसी की 48 प्रतिशत आबादी के हिसाब से 35 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिस की गई। आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट में राजनीतिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्तर की जानकारी देनी थी। लेकिन आयोग की रिपोर्ट में इस पर कुछ कमी रह गई। जिसे लेकर सरकार के वकीलों ने कोर्ट से कुछ और समय मांगा।

लेनिक कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस रवि कुमार की पीठ ने कहा कि पिछले दो साल से प्रदेश में स्थानीय निकायां के चुनाव नहीं हुए हैं। अब तक जो जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए थी, वो हुई नहीं। फिर कैसे आप एक सप्ताह में जानकारी दे देंगे। कोर्ट ने कहा कि हम अपना फेसला 10 मई तक सुरक्षित रखते हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को अपने फेसले में महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि कि वो बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराए। मप्र सरकार के महाधिवक्ता के प्रशांत सिंह का कहना है कि अब चार दिन बाद ही फेसला आएगा।

बदलाव हुआ तो लगेगा एक माह का समय

बताया गया है कि 10 मई को मप्र में निकाय और पंचायत चुनावों की स्थिति साफ हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसके हिसाब से नगरीय विकास विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने तैयारी कर ली है। नगरीय विकास विभाग में वर्तमान समय में 25 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से काम हो रहा है। इसमें अगर बदलाव होता है तो नए सिरे से आरक्षण में नगरीय विकास के साथ पंचायत को भी एक महीनें का समय लगेगा। पंचायत में परिसीमन मार्च 2022 में पूरा हो गया है। अधिसूचना जारी हो रही है। 10 मई को वोटर लिस्ट भी आने की बात कही जा रही है।

25 और 35 प्रतिशत का असर

यदि 25 प्रतिशत का हिसाब लागू होता है तो सामान्य सीटें यथावत रहेगी। आरक्षण किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। यह जरूर है कि अजा-अजजा के आरक्षण के प्रतिशत के बाद जो बचेगा वह अधिकतम 25 प्रतिशत तक ओबीसी को मिलेगा। इसी प्रकार अगर 35 प्रतिशत आरक्षण का फैसला दिया जाता है तो हर निकाय व चुनाव में अजा-अजजा की सीटों को आरक्षित करने के बाद ओबीसी को सीट मिलेगी। लेकिन कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

अगर किसी निकाय में अजा-अजजा को मिला कर 15 प्रतिशत आरक्षण होता है तो उसे बचा हुआ 35 प्रतिशत ओबीसी को मिल जाएगा। यदि 20 प्रतिशत अजा-अजजा है तो बचा हुआ 30 प्रतिशत मिलेगा। इसी तरह अजा-अजजा 30 प्रतिशत या पूरा 36 प्रतिशत है तो ओबीसी को क्रमशः 20 प्रतिशत या 14 प्रतिशत मिलेगा।

Tags:    

Similar News