एमपी नगर निगम चुनाव 2022: कमलनाथ के फॉर्मूले पर चलते तो 9 नहीं 14 नगर निगम में भाजपा के महापौर होते
एमपी नगर निगम चुनाव 2022: सीधे जनता से मेयर का चुनाव कराने का फैसला सीएम शिवराज और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर भारी पड़ गया. कमलनाथ के इस फॉर्मूले पर चलते तो आज भाजपा के 9 नहीं बल्कि 14 नगर निगमों में मेयर होते.
एमपी नगर निगम चुनाव 2022: सीधे जनता से मेयर का चुनाव कराने का फैसला सीएम शिवराज और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर भारी पड़ गया. कमलनाथ के फॉर्मूले पर चलते तो आज भाजपा के 9 नहीं बल्कि 14 नगर निगमों में मेयर होते.
दरअसल, 17 जुलाई को नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के परिणाम आए, जिसमें भाजपा ने 11 में से 7 निगमों में जीत दर्ज की. इसके बाद दूसरे चरण 5 नगर निगमों के चुनावों का परिणाम 20 जुलाई को आया, भाजपा ने दो निगम में अपने मेयर बनाए. कुल 16 नगर निगमों में भाजपा ने 9 नगर निगम महापौर के चुनाव जीते, कांग्रेस शून्य से बढ़कर 5 सीटों पर पहुँच गई, जबकि एक एक सीट आम आदमी पार्टी और निर्दलीय के खाते में गई. ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, मुरैना, कटनी, सिंगरौली और छिंदवाड़ा जैसे नगर निगम भाजपा के हाथ से फिसल गए.
सबसे अधिक वार्ड पार्षदों की जीत
भले ही भाजपा 16 निगमों से 9 पर आकर सिमट गई हो. लेकिन जब बात वार्ड पार्षदों की आती है तो नगर निगम मुरैना और छिंदवाड़ा के अलावा अन्य 14 निगमों में भाजपा के सबसे ज्यादा वार्ड पार्षद जीतकर आए हैं. इसलिए अगर भाजपा कमलनाथ फॉर्मूले पर चली होती तो इन सभी 14 नगर निगमों में भाजपा का मेयर होता. लेकिन कमलनाथ का फैसला पलटना शिवराज सरकार के लिए उल्टे दांव की तरह साबित हुआ है.
क्या था कमलनाथ का फार्मूला
बता दें कि कमलनाथ सरकार महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव को अप्रत्यक्ष तरीके यानि पार्षदों के जरिए कराने का अध्यादेश लेकर आई थी, जिसका बीजेपी ने खूब विरोध किया था. कमलनाथ के इस निर्णय को बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या तक बताया था. नगर निकाय में सीधे अध्यक्ष के चुनाव कराने के फैसले के खिलाफ उस समय के महापौर तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन से मिले थे. बीजेपी ने इसे लेकर मोर्चा तक खोल रखा था और काफी समय तक चुनाव टल गए थे. बीजेपी ने निर्णय लिया था कि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से होगा.
वहीं, साल 2020 में सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार के फैसले को पलट दिया था. शिवराज सरकार ने नगर निकाय में सीधे अध्यक्ष के चुनाव कराने का अध्यादेश ले आई और पार्षदों के जरिए चुने जाने वाले नियम को बदल दिया. इस तरह से जनता के जरिए मेयर के चुनाव कराने का फैसला हुआ.
शिवराज के फैसले से बीजेपी को नुकसान
शिवराज सरकार के फैसले पर नगर निकाय चुनाव कराए गए हैं, जिसमें बीजेपी को महानगरों में झटका लगा. बीजेपी के 16 में 7 महापौर प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं जबकि इन शहरों में पार्षदों का बहुमत बीजेपी का ही है. इस तरह नगर निगम पार्षद के जरिए चुनाव हो रहे होते तो बीजेपी सभी शहरों में अपना महापौर भी बना लेती, लेकिन सीधे जनता के द्वारा चुनाव कराने का दांव बीजेपी को महंगा पड़ा.
नगर निगम के पार्षद के आंकड़े देखें तो बीजेपी ने जिन शहरों में मेयर का चुनाव हारी है, वहां पर उसके पार्षदों की संख्या कांग्रेस से कहीं ज्यादा है. ऐसे में अगर पार्षदों के जरिए मेयर के चुनाव होते हैं तो कांग्रेस जिन पांच नगर निगमों में कब्जा जमाया है, वहां पर बीजेपी का महापौर होता.
वहीं, आम आदमी पार्टी ने जिस सिंगरौली में महापौर का चुनाव जीतने में कामयाब रही है, वहां पर भी बीजेपी के सबसे ज्यादा पार्षद जीते हैं. ऐसे ही कटना में निर्दलीय मेयर बना है, लेकिन पार्षद बीजेपी के जीते हैं. कटनी नगर निगम की 45 पार्षद सीटों में से बीजेपी के 27, कांग्रेस के 15 और 3 अन्य को जीत मिली. ऐसे में साफ है कि बीजेपी अपना किला बचाए रखने में कामयाब रहती.
कांग्रेस से अधिक भाजपा के पार्षद
- भोपाल में नगर निगम के कुल 85 पार्षद की सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 58, कांग्रेस के 22 और अन्य के पांच पार्षद जीते हैं.
- ग्वालियर नगर निगम में कुल 66 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 34, कांग्रेस के 25 और अन्य को 7 सीटें मिली हैं.
- इंदौर नगर निगम बोर्ड में कुल 85 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 64, कांग्रेस के 19 और अन्य के 2 पार्षद चुनकर आए हैं.
- छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 18, कांग्रेस के 26 और 4 अन्य पार्षद जीते हैं.
- जबलपुर नगर निगम में कुल 79 पार्षद सीटें है, जिनमें से बीजेपी के 44, कांग्रेस के 26 और अन्य के 9 पार्षद जीते हैं.
- उज्जैन नगर निगम में कुल 54 पार्षद सीटें है, जिनमें से बीजेपी के 37 और कांग्रेस के 17 पार्षद जीत दर्ज की है.
- कटनी नगर निगम में कुल 45 पार्षद सीटें है, जिनमें से बीजेपी के 27, कांग्रेस के 15 और 3 अन्य को जीत मिली.
- मुरैना नगर निगम में कुल 47 पार्षद सीटें है, जिनमें से बीजेपी के 15, कांग्रेस के 19 और अन्य 13 पार्षद जीते हैं.
- रीवा नगर निगम में कुल 45 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 18, कांग्रेस के 16 और अन्य के 11 पार्षद चुने गए हैं.
- रतलाम नगर निगम में कुल 49 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 30, कांग्रेस के 15 और अन्य 4 पार्षद जीते हैं.
- देवास नगर निगम में कुल 45 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 32, कांग्रेस के 8 और अन्य 5 पार्षद जीते हैं.
- खंडवा नगर निगम में कुल 50 पार्षद सीटें, जिनमें से बीजेपी के 28, कांग्रेस के 13 और अन्य 9 पार्षद जीते हैं.
- बुरहानपुर नगर निगम में कुल 48 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 19, कांग्रेस के 15 और अन्य के 14 पार्षद बने हैं.
- सागर नगर निगम में कुल 48 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 40, कांग्रेस के 7 और अन्य से एक पार्षद हैं.
- सिंगरौली नगर निगम में कुल 45 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 23, कांग्रेस के 12 और अन्य के 10 पार्षद जीते हैं.
- सतना नगर निगम में कुल 45 पार्षद सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के 20, कांग्रेस के 19 और 6 अन्य से पार्षद चुने गए हैं.