MP Me Kitne Sambhag Aur Jile Hai: मध्य प्रदेश में कितने संभाग और जिले है? जानिए
Madhya Pradesh Me Kitne Sambhag Aur Jile Hai: मध्य प्रदेश ब्रिटिश काल के समय कोई स्थान नहीं था। स्वतंत्रता के बाद मध्यप्रदेश का उदय हुआ।
MP Me Kitne Sambhag Aur Jile Hai | Madhya Pradesh Me Kitne Sambhag Aur Jile Hai: मध्य प्रदेश ब्रिटिश काल के समय कोई स्थान नहीं था। स्वतंत्रता के बाद मध्यप्रदेश का उदय हुआ। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यह नाम चुना था। मध्य प्रदेश को भारत का हृदय स्थल भी कहा जाता है। इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 1956 को की गई। वैसे तो मध्यप्रदेश में 8 संभाग हैं। आठो संभागों में अलग-अलग संख्या में जिले हैं। आइए संभाग और उनके जिलों के बारे में जानकारी दें।
भोपाल संभाग How Many Divisions And Districts Are There In Madhya Pradesh | How Many Divisions And Districts Are There In MP
मध्य प्रदेश का भोपाल राजधानी स्थल है। या यूं कहें कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल है। साथ ही भोपाल संभाग में 5 जिले आते हैं जिसमें भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ़ और विदिशा है। अगर भोपाल के सीहोर जिले की बात करें तो यहां शक्कर का कारखाना रेलवे स्क्रीन का कारखाना है। इसी तरह रायसेन में विश्व प्रसिद्ध सांची का स्तूप और भीम टेकुआ गुफा। मंडीदीप औद्योगिक केंद्र है। बेतवा नदी का उद्गम स्थल रायसेन बताया गया है।
इसी तरह राजगढ़ जिले के चिड़ीखो नामक स्थान को मालवा का कश्मीर कहा जाता है। यहां वन्य अभ्यारण के साथी कई नदियां प्रवाहित होकर क्षेत्र को संपन्नता प्रदान कर रहे हैं। इसी तरह विदिशा जिला मैं सर्वाधिक चने का उत्पादन होता है। यहां कई गुफाएं और गरुड़ स्तंभ जैसे अभिलेख पाए जाते हैं। हलाली नदी पर सम्राट अशोक सागर बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना का निर्माण किया गया है।
जबलपुर संभाग MP Me Kitne Sambhag Hai | MP Me Kitne Jile Hai
जबलपुर संभाग में जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट तथा डिंडोरी जिले आते हैं।
जबलपुर जिले की बात करें तो यहां भारतीय वन अनुसंधान संस्थान का क्षेत्रीय कार्यालय एवं पहला रत्न परिष्कृत केंद्र जबलपुर में है। जबलपुर को त्रिपुरी और महाकौशल के नाम से भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश का उच्च न्यायालय यही स्थापित है। भेड़ाघाट जलप्रपात गुप्तकालीन विष्णु मंदिर आदि यहां की शोभा बढ़ा रहे हैं।
जबलपुर का नजदीकी जिला कटनी जहां संगमरमर की खजाने हैं। यहां चूना पत्थर डोलोमाइट बॉक्साइट तथा सीमेंट की कई फैक्ट्रियां हैं। नरसिंहपुर जिला अभी ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए है यहां अरहर दाल का उत्पादन सबसे अधिक होता है।
छिंदवाड़ा प्राचीन कॉल संपन्न रहा है। यहां पर एग्रो कॉन्प्लेक्स, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड, मसाला पार्क है।
इसी तरह सिवनी जिले में सेवन नामक वृक्ष पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश का 1 विद्यालय भी यही है। मंडला जिला मे गोड जनजाति सबसे अधिक पाई जाती हैं। देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली यही मंडला में स्थित है।
बालाघाट जिला महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ की सीमा मैं बसा हुआ है। छत्तीसगढ़ का मलाजखंड यहीं से जुड़ा हुआ है। जबलपुर संभाग का डिंडोरी जिला नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है इसे 1998 में मंडला जिले से अलग कर बनाया गया था।
इंदौर संभाग
इंदौर संभाग में इंदौर धार अलीराजपुर झाबुआ खरगोन खंडवा बड़वानी और बुरहानपुर जिला आते हैं।
इंदौर जिले की बात करें तो इंदौर जिला मध्य प्रदेश का औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है। यहां आईआईटी और आईआईएम सेंटर स्थापित हैं। धार जिला पीथमपुर यही स्थित है। ऐतिहासिक धरोहरों की बात करें तो थे सिटी आफ जॉय कहा जाता है।
अलीराजपुर वर्ष 2008 में झाबुआ से अलग कर बनाया गया। मध्यप्रदेश का यह सबसे कम साक्षरता वाला जिला है। शहीद स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली अलीराजपुर के ग्राम भवरा में है। झाबुआ जिला जनजाति बाहुल्य है। यहां भील जनजाति सबसे ज्यादा पाई जाती है। झाबुआ जिले की सीमा गुजरात से मिलती है।
खरगोन जिला कपास उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां मूंगफली का भी पर्याप्त उत्पादन होता है। यहां कपास अनुसंधान केंद्र तथा सीआईएफ का प्रशिक्षण केंद्र है। खंडवा जिला नर्मदा और ताप्ती नदी के मध्य स्थित है। पार्श्वगायक किशोर कुमार की जन्म स्थली तथा माखनलाल चतुर्वेदी की कर्म स्थली यही है। बडवानी जिला 2298 में खरगोन से अलग कर बनाया गया। यहां सर्वाधिक लाल मिर्च का उत्पादन होता है। कपास की प्रसिद्ध मंडी अभी यही है।
बुरहानपुर जिला को दक्खन का दरवाजा भी कहा जाता है। बुरहानपुर के बाद देश का दक्षिणी हिस्सा शुरू हो जाता है। यह संपन्न इलाका है यहां नेशनल न्यूज़ प्रिंट कारखाना नेपानगर स्थित है।
चंबल संभाल
चंबल संभाग में 3 जिले आते हैं शिवपुर, मुरैना और भिंड
शिवपुर मुरैना जिले को विभाजित कर बनाया गया था यहां चंबल नदी का तट स्थित है कूनो वन्य जीव अभ्यारण का संरक्षण किया जाता है। यह क्षेत्र कास्ट कला के लिए प्रसिद्ध है। मुरैना जिला मोर पक्षी के लिए प्रसिद्ध है इसीलिए इसका नाम मुरैना पड़ा और यह चंबल नदी के किनारे चंबल घड़ियाल अभ्यारण यही है। भिंड जिले को बागियों का गढ़ कहा जाता है। भिंड जिले के मालनपुर में औद्योगिक विकास केंद्र स्थापित है।
सागर संभाग
सागर संभाग में 6 जिले आते हैं जिसमें सागर दमोह पन्ना छतरपुर टीकमगढ़ निवाडी शामिल है।
सागर जिला बुंदेलखंड का महत्वपूर्ण जिला माना गया है महापौर प्रशिक्षण केंद्र, स्टैंडर्ड स्टील कंपनी जैसे कई महत्वपूर्ण उद्योग हैं। मध्य प्रदेश का पुलिस कॉलेज भी यही है। दमोह जिला रानी दुर्गावती अभ्यारण औद्योगिक एवं डायमंड सीमेंट कारखाना यही स्थित है।
इसी तरह पन्ना जिला भी हीरे के लिए जाना जाता है। पन्ना में जुगल किशोर मंदिर स्थापित है जहां हजारों की तादाद में लोग आते हैं। इसी तरह छतरपुर जिला भी ऐतिहासिक विरासत समेटे हुए है यहां विश्व प्रसिद्ध खजुराहो का मंदिर है। यहां पर केन वन्य जीव अभ्यारण, केन परियोजना, उर्मिल परियोजना यही है।
टीकमगढ़ जिला उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक सीमाओं से लगा हुआ है यहां तालाबों की अधिकता साथ ही पर्वतों और रामायण संग्रहालय भी यही है। निवाड़ी जिला टीकमगढ़ को विभाजित कर 2018 में बनाया गया। यह सबसे छोटा जिला है किस जिले की आबादी करीबन चार लाख तथा इसकी ज्यादातर सीमाएं उत्तर प्रदेश से घिरी हुई है।
उज्जैन संभाग
उज्जैन संभाग में 7 जिले आते हैं जिसमें उज्जैन देवास रतलाम शाजापुर आगर मालवा मंदसौर और नीमच शामिल है।
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर होने के साथ ही भैरव मंदिर और संदीपनी आश्रम है। देवास औद्योगिक क्षेत्र होने के साथ ही करेंसी प्रिंटिंग प्रेस है। रतलाम जिले में नमकीन सेव, सोना, साड़ी एवं समोसा प्रसिद्ध है। बात अगर शाजापुर की करें तो यहां मुगल बादशाह शाहजहां ने इसे बसाया था। आगर मालवा शाजापुर जिले को विभाजित कर 2013 में बनाया गया। यहां छोटी कालीसिंध नदी है। नीमच को मंदसौर जिले से अलग कर 1998 में बनाया गया। वही मंदसौर जिला पत्नी मंदोदरी का मायका कहा जाता है। मंदसौर जिला राजस्थान से घिरा हुआ है गांधी सागर बांध यही है।
शहडोल संभाग
शहडोल संभाग में 3 जिले आते हैं। जिसमें शहडोल उमरिया और अनूपपुर है। शहडोल जिले की उत्पत्ति सोहागपुर से हुई है। यहां कोयले का प्रचुर भंडार है। उमरिया जिले मे बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के साथ ही संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र स्थापित है। शहडोल जिले से अलग कर उमरिया जिला बनाया गया था। अनूपपुर जिला वर्ष 2003 में शहडोल से ही अलग कर बनाया गया। अनूपपुर में जोहिला नदी का उद्गम स्थल होने के साथ ही कई दार्शनिक स्थल भी है।
रीवा संभाग
रीवा संभाग में 4 जिले आते हैं जिसमें रीवा सीधी सिंगरौली और सतना शामिल है।
रीवा जिला को सफेद शेर की धरती कहा जाता है। सैनिक स्कूल, महामृत्युंजय मंदिर, गोविंदगढ़ आम अनुसंधान केंद्र यही है। यहां कई प्रपात हैं। स्वतंत्रता के बाद विनय प्रदेश की राजधानी रीवा ही थी। सीधी जिले में सोन नदी के साथ ही संजय टाइगर रिजर्व है। इसी तरह सिंगरौली जिले में कोयले का अकोट उत्पादन होता है। एनटीपीसी थर्मल पावर यही है। सतना जिला में मैहर माता का मंदिर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अशोक के स्तंभ भरोसा यही है।
होशंगाबाद नर्मदा पुरम संभाग
होशंगाबाद संभाग में 3 जिले आते हैं जिसमें होशंगाबाद बैतूल और हरदा शामिल है। होशंगाबाद संभाग मैं प्रमुख हिल स्टेशन पचमढ़ी यही स्थिति है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान भी यही स्थित है। बैतूल की बात करें तो यह जिला खनिज से संपन्न है यहां कोयला ग्रेफाइट संगमरमर और तुम जैसे खनिज पाए जाते हैं। हरदा जिले को होशंगाबाद से अलग कर 1998 में बनाया गया।
ग्वालियर संभाग
ग्वालियर संभाग में 5 जिले आते हैं जिसमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना , अशोकनगर और दतिया शामिल है।
ग्वालियर जिले की बात करें तो यहां एशिया का प्रथम शारीरिक प्रशिक्षण महाविद्यालय, राजस्व मुख्यालय, महालेखाकार का कार्यालय जैसे मुख्यालय स्थापित है। शिवपुरी जिला पर्यटन की नगरी कही जाती है। 1859 में तात्या टोपे को यहीं फांसी दी गई थी। गुना जिले को चंबल मालवा का प्रवेश द्वार कहा जाता है। स्वतंत्रता पूर्व रियासत राघवगढ़ यही है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का गृह क्षेत्र है।
अशोकनगर को 15 अगस्त 2003 में गुना से अलग कर बनाया गया। दतिया जिला शहर पीतांबरा देवी का शहर माना जाता है। अनेक देवी देवताओं के मंदिर हैं। इसे लघु बृंदावन भी कहा जाता है। जैन तीर्थ स्थल सोनगिरी यही दतिया जिले में स्थिति है।