High Court Library: एमपी हाईकोर्ट की लाइब्रेरी में हैं कानून की 70 हजार पुस्तकें, दुर्लभ किताबों का भी संग्रह
MP News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में हाईटेक लाइब्रेरी प्रारंभ कर दी गई है। यहां पर 70 हजार किताबें मौजूद हैं। जिनमें पांच हजार विदेशी लॉ जर्नल भी शामिल हैं।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में हाईटेक लाइब्रेरी प्रारंभ कर दी गई है। यहां पर 70 हजार किताबें मौजूद हैं। जिनमें पांच हजार विदेशी लॉ जर्नल भी शामिल हैं। न्यायालयीन समय के दौरान इस लाइब्रेरी में न्यायमूर्ति और अधिवक्ता अलग-अलग स्थान पर बैठकर किताबों का अध्ययन कर सकते हैं। इस लाइब्रेरी में कानून से जुड़ी ऐसी दुर्लर्भ किताबें भी मौजूद हैं जो बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।
ऑनलाइन होगी लाइब्रेरी
एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में ग्वालियर गजेटियर भी देखा जा सकता है। इस लाइब्रेरी में कानून संबंधी किताबों का अध्ययन करने के लिए अधिवक्ता पहुंचने लगे हैं। इसमें सर्वाधिक संख्या युवा अधिवक्ताओं की रहती है। लाइब्रेरी में रखी किताबों को फिलहाल स्कैन कर सॉफ्ट कापी से काम चलाया जा रहा है। भविष्य में इस लाइब्रेरी को ऑनलाइन भी किया जाएगा। जिससे ऑनलाइन माध्यम से अधिवक्ता किताबों का अध्ययन कर सकेंगे।
लाइब्रेरी में इनका भी संग्रह
हाईटेक लाइब्रेरी में 26 लॉ जर्नल हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी शामिल हैं। लाइब्रेरी में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट सहित केरला, कोलकाता, मुंबई एवं अहमदाबाद कोर्ट के फैसलों के जर्नल भी संग्रहित कर रखे गए हैं। इसके साथ ही इस लाइब्रेरी में विदेशों के कानून से जुड़ी पुस्तकें व रिपोर्ट भी मौजूद हैं जिनकी संख्या पांच हजार के आसपास है। जिसमें किंग बैंच डिवीजन, क्वीन बैंच, कनाडा लॉ रिपोर्ट, आल इंडिया लॉ रिपोर्ट आदि शामिल हैं। यहां पर ग्वालियर रियासत से जुड़े मामलों की भी एक हजार किताबें मौजूद हैं। जिसमें रखे ग्वालियर गजेटियर में अंचल के बारे में भी जाना जा सकता है। यहां पर ब्रिटिश काल के साथ ही मध्यकाल की किताबें भी मौजूद हैं। जिनका अध्ययन करने अधिवक्ता पहुंच रहे हैं।
इनका कहना है
इस संबंध डिप्टी रजिस्ट्रार हाईकोर्ट अनिल कुमार देशमुख के मुताबिक हाईकोर्ट की लाइब्रेरी का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। यहां की लगभग आठ हजार किताबों को स्कैन करने का कार्य किया जा चुका है। यह कार्य जारी है। सभी पुस्तकें स्कैन होने के बाद लाइब्रेरी डिजिटल हो जाएगी। जिससे कहीं से भी अधिवक्ता इन पुस्तकों को पढ़ सकेंगे।